यूरोप का NATO से न जुड़ने का कारण: अमेरिकी ठंडेपन का असर

यूरोप की NATO से दूरी और अमेरिका के ठंडेपन का विश्लेषण। क्या यूरोप की स्वतंत्रता का यह सही समय है?

हाल के वर्षों में, यूरोप और अमेरिका के बीच संबंधों में असमानता बढ़ी है। अमेरिकी ठंडेपन के बावजूद, यूरोप ने NATO से अलग होने की बजाय अपनी रणनीति में बदलाव करना पसंद किया है। इस स्थिति का मुख्य कारण है यूरोप का खुद को सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाना। जबकि अमेरिका ने कई अन्य मुद्दों पर ध्यान दिए रखा है, यूरोप ने अपने रक्षा खर्च को बढ़ाने और स्वतंत्र रक्षा क्षमताओं को विकसित करने में लगन दिखाई है।

यूक्रेन-रूस युद्ध ने भी यूरोप को सोचने पर मजबूर किया है कि उन्हें अपने सुरक्षा अनुबंध को फिर से जांचने की जरूरत है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दिमीर ज़ेलेंस्की ने यूरोपीय संघ की एक स्वतंत्र सेना बनाने का प्रस्ताव रखा है। यह एक संकेत है कि यूरोप अब अपने रक्षा तंत्र को कैसे देखता है और वह NATO की तयशुदा नीतियों के प्रति कितनी स्वतंत्रता चाहता है।

हालांकि, यूरोप की धारणाएँ अमेरिका के प्रति कड़ी होती जा रही हैं, लेकिन NATO का हिस्सा बने रहने का उनका निर्णय ठोस रणनीतियों पर आधारित है। NATO के साथ जुड़ाव उन्हें सामूहिक सुरक्षा का आश्वासन देता है, विशेष रूप से जब वे आधिकारिक तौर पर स्वतंत्र सेनाएँ स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। कई यूरोपीय नेता मानते हैं कि किसी भी सुरक्षा उपाय की आवश्यकता अमेरिका की भागीदारी के बिना नहीं हो सकती। इसलिए, जब तक स्थिति विश्व में अस्थिर है, यूरोप NATO से जुड़ाव बनाए रखना चाहता है।

दूसरी ओर, अमेरिका के ठंडेपन का प्रभाव भी साफ नजर आता है। ट्रंप प्रशासन के दौरान, अमेरिका ने अपने वैश्विक नीतियों को जब भारी बदलाव किया, तब यूरोप ने महसूस किया कि उन्हें अपनी सुरक्षा नीतियों को पुनः परिभाषित करने की जरूरत है। इसलिए, यूरोप ने अपनी रक्षा खर्च को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है ताकि वे एक स्वतंत्र बल स्थापित कर सकें।

यूरोप का यह कदम निश्चित रूप से रोमांचक है, लेकिन इसके साथ ही इसके निहितार्थ भी हैं। यूरोप के पास यदि अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर है, तो यह जरूरी है कि वे अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम करें। NATO के छत्र में रहते हुए भी दक्षिणी-पूर्वी यूरोप के कई देश स्वतंत्र निर्णय लेने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यूरोप अपनी रक्षा क्षमताओं को ठीक से विकसित कर पाएगा और NATO के भीतर रहकर भी स्वतंत्रता बनाए रख पाएगा।

इस समय पैदा हुई असमंजस की स्थिति, उसे लंबे समय के लिए मजबूती प्रदान कर सकती है, बशर्ते यूरोप एक संयुक्त रक्षा रणनीति तैयार कर सके।

अधिक समाचार पढ़ें

इस्तींबुल में इराकी वाणिज्य दूतावास पर गोलीबारी की घटना, बंदूकधारी फरार

इस्तींबुल में इराकी वाणिज्य दूतावास पर गोलीबारी, कोई हताहत नहीं। बताया गया है कि बंदूकधारी मौके से फरार हो गए हैं।

मनाली के होटल में सौरभ की हत्या के बाद मुस्कान और साहिल का बर्थडे सेलिब्रेशन

मनाली में सौरभ की हत्या के बाद मुस्कान और साहिल ने होटल में मनाया बर्थडे। जानें इस मामले की ताजा जानकारी।