US Army ने ट्रांसजेंडर भर्ती पर लगाई रोक, सैनिक बनने का सपना हुआ खत्म

US Army ने ट्रांसजेंडर लोगों की भर्ती पर रोक लगाई, जिससे उनके सैनिक बनने का सपना अधूरा रह गया।

हाल ही में, US Army ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसके अनुसार ट्रांसजेंडर लोगों की भर्ती पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। इस निर्णय ने एक बार फिर से उस मुद्दे को जीवित कर दिया है, जिसने पिछले कुछ वर्षों में कई विवाद पैदा किए हैं। ट्रांसजेंडर लोग, जो अपने लिंग पहचान से संबंधित विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे हैं, अब सेना में भर्ती नहीं हो पाएंगे।

यूएस आर्मी के इस निर्णय का प्रभाव न केवल उन ट्रांसजेंडर व्यक्तियों पर पड़ेगा, जो सेना में सेवा देने का सपना देख रहे थे, बल्कि यह समाज में ट्रांसजेंडर मुद्दों को लेकर चल रही बहस को भी और तेज करेगा। पहले, प्रशासन ने ट्रांसजेंडर कर्मचारियों को अपनी पहचान के अनुसार सेवा देने की अनुमति दी थी, लेकिन अब उन पर यह कदम उठाया गया है। ऐसा लगता है कि यूएस आर्मी ने इस निर्णय के पीछे सुरक्षा और प्रशासनिक कारण बताए हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से न केवल ट्रांसजेंडर लोगों का हौसला टूटेगा, बल्कि यह एक बार फिर से LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष को और बढ़ाएगा। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए सेना में भर्ती और अन्य सामाजिक क्षेत्रों में समानता की वकालत करने वालों का मानना है कि यह कदम स्पष्ट रूप से भेदभाव का एक उदाहरण है।

इसके अलावा, इस निर्णय का एक अन्य पहलू यह भी है कि इससे सैन्य सेवा के दौरान प्रदान की जाने वाली जेंडर ट्रांज़िशन सेवाओं को भी समाप्त कर दिया गया है। इससे उन ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को बड़ी परेशानी होगी, जो कि इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तैयार थे।

इस निर्णय के प्रति विभिन्न राजनीतिक दलों और मानवाधिकार संगठनों ने अपनी आलोचना की है। उनका कहना है कि यह फैसला न केवल असमानता को बढ़ावा देगा, बल्कि समाज में पहले से ही विद्यमान भेदभाव की भावना को भी बल देगा। सार्वजनिक विरोध और न्यायालय में अपील का आश्वासन दिया गया है।

ऑब्जर्वर्स का मानना है कि यह निर्णय ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है और इसे एक व्यापक सामाजिक मुद्दा बनाने का काम करेगा। ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए संघर्ष अब और अधिक तेज होता दिखाई दे रहा है और इसका प्रतिरोध भी बढ़ता जा रहा है।

यूएस आर्मी के इस फैसले से यह निश्चित है कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों का सैनिक बनने का सपना अब अधूरा रह गया है। भविष्य में देखना होगा कि क्या सरकार और الجيش इस निर्णय को वापस लेते हैं या नहीं।

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