सीरिया में तख्तापलट: ईरान और रूस ने दिखाया समर्थन, इजरायल की चिंता
सीरिया में इस्लामिक स्टेट का खतरा बढ़ा, इजरायल और ईरान की प्रतिक्रियाएं।
वैश्विक राजनीति में सीरिया एक ऐसा देश रहा है जो हमेशा ही टकराव और संघर्ष में रहा है। हाल ही में सीरिया में हो रहे घटनाक्रम ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है। सीरिया के वर्तमान राष्ट्रपति बशर अल-असद का शासन ढहने की संभावना पर चर्चा हो रही है, और इस पर इजरायल, ईरान और रूस की प्रतिक्रियाएँ भी सामने आई हैं।
हाल के कुछ वर्षों में, सीरिया में संघर्ष ने न केवल स्थानीय लोगों का जीवन प्रभावित किया है, बल्कि यह क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों के बीच संघर्ष का भी कारण बना है। इस बार इजरायल ने चिंता जताई है कि अगर असद का शासन गिरता है, तो इसका फायदा इजरायल के दुश्मनों को हो सकता है। इसलिए, इजरायल ने अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है।
वहीं दूसरी ओर, इरान ने बशर अल-असद का समर्थन करते हुए कहा है कि वह सीरिया के खिलाफ किसी भी प्रकार के आक्रमण का सामना करेगा। इरान का कहना है कि वह असद की सरकार को हर संभव सहायता देगा ताकि वह अपने विरोधियों का सामना कर सके। रूस ने भी इस मामले में अपना सहयोग जारी रखा है और असद सरकार की समर्थन करने का आश्वासन दिया है। रूस और ईरान का यह कदम स्पष्ट रूप से इस बात को दर्शाता है कि वे अपने नीतियों को बनाए रखने के लिए क्या-क्या कर सकते हैं।
इस संकट के बीच, सीरिया में इस्लामिक स्टेट जैसी आतंकवादी संगठनों की गतिविधियाँ भी बढ़ रही हैं, जो कि एक अन्य चिंता का विषय है। इजरायल ने इस बात की भी जानकारी दी है कि यदि असद का शासन गिरता है, तो यह संघटना फिर से पैर पसार सकती है, जो कि इजरायल के लिए एक गंभीर खतरा है।
सीरिया में तख्तापलट की संभावना से न केवल क्षेत्रीय बैलेंस में बदलाव आएगा, बल्कि इसके दूरगामी प्रभाव भी देखने को मिलेंगे। दुनिया भर की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं कि इस संकट का समाधान कैसे निकाला जाएगा। क्या ईरान और रूस अपने सहयोग को जारी रख पाएंगे, या अंतरराष्ट्रीय स्थिति कुछ और मोड़ लेगी? कूटनीतिक स्तर पर होने वाली बातचीत और जंग की तैयारी हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है। सीरिया के लिए ये बेहद संवेदनशील समय है, और अब यह देखने की बात होगी कि क्या असद के शासन को बचाने में ईरान और रूस सफल होंगे या नहीं।