सीरिया में बढ़ता संघर्ष: तुर्की और रूस की भूमिका

सीरिया में संघर्ष ने एक नया मोड़ लिया है, जिसमें तुर्की और रूस की गतिविधियाँ चिंता का विषय बन गई हैं।

हाल ही में सीरिया की स्थिति में काफी बदलाव आया है। तुर्की ने सीरिया के असद शासन के खिलाफ अपनी सैन्य ताकतों को और बढ़ा दिया है। इस कदम ने अंतराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगान ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे असद शासन को हराने का लक्ष्य रखते हैं और इसके लिए वे हर संभव उपाय करेंगे। तुर्की की यह कार्रवाई केवल सीरिया तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके वैश्विक प्रभाव भी हैं।

इस स्थिति में रूस की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। रूस, जो असद का सबसे मजबूत सहयोगी माना जाता है, अब तुर्की के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंतित है। इस बीच, इस्राइल ने भी सीरिया में अपने हितों को लेकर सक्रियता बढ़ाई है। इस्राइल ने कई बार सीरिया में हमले किए हैं, जिसका मकसद ईरानी उपस्थिति को खत्म करना और असद शासन को कमजोर करना है।

इन सबके बीच, सिविल वॉर के कारण हजारों लोग बेघर हो गए हैं और स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। हाल के दिनों में, कई नागरिकों की मौत भी हुई है। सीरिया में चल रहे इस संघर्ष ने बुरे प्रभाव डाले हैं, जिससे पूरे क्षेत्र की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

तुर्की द्वारा असद के खिलाफ सशस्त्र विद्रोहियों को समर्थन देने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि अगले चरण में एक बड़ा संघर्ष हो सकता है। तुर्की की ओर से इस कदम से क्षेत्र में एक नई अस्थिरता आ गई है। पहले से ही भयानक स्थिति से गुजर रहे लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बात पर ध्यान देना होगा कि इस संघर्ष का प्रवाह केवल सीरिया तक सीमित न रहे, बल्कि यह दुनिया के अन्य हिस्सों में भी असर डाल सकता है। सभी देशों को मिलकर इस संकट को रोकने की दिशा में काम करना होगा, ताकि सीरिया में शांति स्थापित की जा सके और वहां के नागरिकों को राहत मिल सके।

उम्मीद है कि विभिन्न देशों के बीच संवाद और मध्यस्थता के जरिए इस संकट का ठोस समाधान निकाला जा सकेगा। इस संघर्ष की असली ताकतें क्या हैं, ये तो वक्त ही बताएगा।

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