पद्मविभूषण तीजन बाई की पेंशन का संघर्ष: 8 महीने की देरी

पद्मविभूषण तीजन बाई 8 महीने से पेंशन न मिलने की समस्या से जूझ रही हैं। जानें उनके संघर्ष के बारे में।

पद्मविभूषण सम्मानित तीजन बाई, छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध नृत्यांगना और लोक कला की संरक्षक, पिछले 8 महीनों से पेंशन के लिए संघर्ष कर रही हैं। ये स्थिति उनकी उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए चिंताजनक है। पेंशन न मिलना केवल आर्थिक समस्या नहीं है, बल्कि यह सरकार की लकड़ खंडित नीतियों और कलाकारों की अनदेखी का प्रतीक भी है।

तीजन बाई की पहचान छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य ‘पनिहारी’ के लिए है, उसने अपने जीवन में अनगिनत योगदान दिए हैं और भारत की सांस्कृतिक धमक को आगे बढ़ाने का काम किया है। लेकिन इस महान कलाकार को आज भरी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले 8 महीनों से सरकार की बेपरवाही के चलते उनका पेंशन बिलकुल रुका हुआ है, जो उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

इस विषय पर तीजन ने कहा, "जब मैंने पेंशन के लिए आवेदन किया था, तब मुझे उम्मीद थी कि सरकार मेरी मदद करेगी। लेकिन अब तो मुझे 8 महीने से भी ज्यादा हो गए हैं, मैंने कई बार कार्यालयों के चक्कर काटे फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई।”

उनके संघर्ष ने एक बार फिर से हमें याद दिलाया है कि हमारे देश में कला और संस्कृति के संरक्षकों के साथ क्या हो रहा है। पद्मविभूषण जैसे सम्मानित कलाकारों की सुरक्षित पेंशन का प्रावधान होना चाहिए। इतनी उम्र में भी क्या किसी कलाकार को सरकारी सहायता की आवश्यकता नहीं है? यह सवाल अब हर किसी के जहन में उठ रहा है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मामले पर संज्ञान लिया है और उन्हें यह सूचना दी गई है कि पेंशन का मामला जल्द ही सुलझाया जाएगा। लेकिन सवाल ये है कि क्या यह वादे वादों की तरह ही रहेंगे?

हम सभी को मिलकर इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे देश के कलाकारों को उनका हक मिले। सरकार को तत्काल इस गम्भीर समस्या का समाधान करना चाहिए ताकि हमारे जैसे कलाकारों को उनके योगदान के लिए उचित सम्मान मिल सके।

चाहे हम कितनी भी आधुनिकता में चले जाएं, हमारी संस्कृति और कला हमारे देश की पहचान है। इसलिए, हमें उन लोगों के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए जो हमारे कला रूपों को जीवित रखते हैं।

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