महिलाओं की सुरक्षा: केजरीवाल ने फिर केंद्र सरकार पर उठाए सवाल
दिल्ली में महिला सुरक्षा पर केजरीवाल का केंद्र पर हमला, महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में केंद्र सरकार पर महिला सुरक्षा को लेकर कटाक्ष किए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है और इसके लिए केंद्र सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर केजरीवाल का कहना था कि केंद्र को इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।
केजरीवाल ने कहा, "यह समय है कि हम सामाजिक सुरक्षा को पहले प्राथमिकता दें, खासकर महिलाओं के मामलों में। क्या हम तैयार हैं, अगर गृहमंत्री या प्रधानमंत्री दिल्ली आएंगे, तो उन्हें यह सवाल पूछना होगा कि उनकी नीतियों ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने में क्या किया।"
दिल्ली में हाल के दिनों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि हुई है, जिसमें छेड़खानी, दुष्कर्म और घरेलू हिंसा के मामले शामिल हैं। इस संदर्भ में, केजरीवाल ने दिल्ली सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का उल्लेख किया, जिसमें दिल्ली में महिलाओं के लिए विशेष सुरक्षा कार्यक्रमों की शुरुआत की गई है। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी सरकार पर भरोसा है और दिल्ली में महिला सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है।
हालांकि, उन्हें यह भी चिंता है कि केंद्र सरकार को अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "महिलाओं की सुरक्षा का मामला सिर्फ एक राज्य का विषय नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है। हमें इसे मिलकर हल करना होगा।"
यह पहली बार नहीं है जब केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर इस तरह के हमले किए हैं। पहले भी कई मौकों पर उन्होंने केंद्र के द्वारा राज्य सरकार की अनदेखी और महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में की गई अनियोजित नीतियों पर सवाल उठाए हैं।
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर इस बहस के बीच यह स्पष्ट है कि दिल्ली की महिलाएँ सुरक्षा की मांग कर रही हैं।
आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस मुद्दे को लेकर एक विशेष 'महिला अदालत' की स्थापना की है, जिसमें महिलाओं के उनके अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। इस पहल से महिलाओं को अपनी बात खुलकर रखने का मौका मिलेगा।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि दिल्ली की महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना केवल राजनीतिक सवाल नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की प्राथमिकता बननी चाहिए। सभी पक्षों को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे ताकि हर महिला खुद को सुरक्षित महसूस कर सके।