महाकुंभ 2025: अब बसंत पंचमी पर होगा अमृत स्नान

महाकुंभ में बसंत पंचमी पर अमृत स्नान का फैसला, भगदड़ के बाद अखाड़ा परिषद का दिशा-निर्देश, जानें क्या है पूरी कहानी।

महाकुंभ का महोत्सव हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है, लेकिन इस बार इसे लेकर कई बदलाव किए गए हैं। हाल ही में हुई भगदड़ के चलते अखाड़ा परिषद ने एक अहम निर्णय लिया है। निर्णय के अनुसार, अब महाकुंभ में सभी अखाड़े केवल बसंत पंचमी पर अमृत स्नान करेंगे। यह जानकारी कल कानपुर में अखाड़ा परिषद की बैठक में साझा की गई।

परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने बताते हुए कहा, "यह फैसला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। पिछले साल हरिद्वार में हुई भगदड़ ने हमारे लिए एक गंभीर स्थिति पैदा कर दी थी। हम नहीं चाहते कि ऐसी कोई स्थिति फिर से पैदा हो।" अखाड़ों के लिए अब समयबद्ध तरीके से स्नान करने की व्यवस्था भी की जाएगी ताकि किसी भी प्रकार की भीड़-भाड़ से बचा जा सके।

महाकुंभ में अमृत स्नान का महत्व है, और इसे करने के लिए साधु-संन्यासियों का एक बड़ा जनसैलाब एकत्र होता है। लेकिन चर्चा में आ रही समस्याओं को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। इस बार सरकार भी ऐसे उपाय करने की दिशा में मेहनत कर रही है, जिससे स्नानार्थियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा सके।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भगदड़ के दौरान हुई अफरातफरी के बाद अब अखाड़ा परिषद ने लोगों को अमृत स्नान के लिए एक निश्चित समय दिए जाने की योजना बनाई है। इसे लेकर परिषद जल्द ही एक नया कैलेंडर पेश करने का आश्वासन दिया है। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि सभी अखाड़े निर्धारित समय पर स्नान करें और इसके चलते किसी तरह की भागदौड़ ना हो।

इस निर्णय का उद्देश्य सभी श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना और त्यौहार में सुव्यवस्थित आयोजन को बनाए रखना है। बसंत पंचमी पर अमृत स्नान के दौरान भारतीय संस्कृति का एक नया रूप देखने को मिलेगा।

इसके साथ ही, परिषद ने यह भी कहा है कि सभी अखाड़ों को इस बार स्नान के पानी को शुद्धता के साथ उपलब्ध कराने के लिए विशेष ध्यान दिया जाएगा। महाकुंभ 2025 का यह नया निर्णय सभी श्रद्धालुओं के लिए राहत की खबर है, जिनका हमेशा से यही मानना रहा है कि अमृत स्नान के लिए पहले आएं तो बेहतर।

अखाड़ा परिषद का यह नया निर्णय महाकुंभ को और भी सुरक्षित व यादगार बनाने का प्रयास है। अब देखना यह है कि इस फैसले के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में क्या अंतर आता है और यह आयोजन किस प्रकार से आगे बढ़ता है।

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