कॉलेज परिसरों में बुर्का बैन पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई आज
सुप्रीम कोर्ट ने बुर्का बैन के खिलाफ याचिका पर सुनवाई की। निषेधाज्ञा और आजादी का सवाल गरमायो।
देश के कॉलेज परिसरों में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में कई छात्राएं और धार्मिक संगठन इस बैन के खिलाफ खड़े हुए हैं। दरअसल, कुछ कॉलेजों ने कई छात्रों के बुर्का पहनने पर रोक लगाई है, जिसके खिलाफ आवाज उठाई जा रही है।
याचिका के अनुसार, यह आदेश न सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है, बल्कि महिला छात्रों को शिक्षा से भी वंचित कर सकता है। याचिका के अनुसार, कॉलेजों का यह बैन संविधान के अनुच्छेद 25 का भी उल्लंघन करता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है। इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि यह कदम छात्रों के बीच भेदभाव को बढ़ावा दे रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर पहले भी हस्तक्षेप करने से इनकार किया था और इसे राज्य सरकारों के निर्णय पर छोड़ दिया था। अब यह देखना होगा कि इस बार न्यायालय इस मामले को किस नजरिए से देखता है।
इस विषय पर बहस करने वाले छात्र और छात्राएं अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। कुछ का मानना है कि यह बैन शिक्षा प्रणाली में महिलाओं के लिए एक बड़ी बाधा है, जबकि अन्य इसे कॉलेज प्रशासन का अधिकार मानते हैं। इस विवाद ने शिक्षण संस्थानों में एक नई बहस छेड़ दी है, जिसमें धर्म, स्वतंत्रता और शिक्षा के मूलभूत अधिकारों के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में कई कॉलेजों में इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं। छात्र संगठनों ने जोरदार तरीके से इस बैन का विरोध किया है और इसे अपमानजनक माना है।
इस पूरे मामले में कई सामाजिक संगठन भी सामने आए हैं, जिन्होंने समर्थन का हाथ बढ़ाया है। अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, यह देखने के लिए कि न्यायालय इस जटिल मुद्दे पर क्या निर्णय लेगा। यह सुनवाई न केवल महिला अधिकारों के लिए, बल्कि पूरे धार्मिक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय हो सकती है।
आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि शिक्षा के परिसर में ऐसे मामलों पर क्या रुख अपनाया जाएगा और कैसे इसे हल किया जाएगा। धार्मिक पहचान और शिक्षा के अधिकार का यह मामला आगे किस दिशा में जाएगा, यह सभी के लिए चिंता का विषय है।
इस पूरे मामले पर नजर बनाए रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि इस प्रकार के फैसले समाज में बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।