हिमाचल-उत्तराखंड में बर्फबारी का इंतज़ार: पानी की कमी की चिंता
हिमाचल और उत्तराखंड में बर्फबारी का न होना चिंता का विषय, जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता।
भारत के पहाड़ी क्षेत्र खासकर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में इस बार बर्फबारी का इंतज़ार है, लेकिन स्थिति यह है कि यहाँ बर्फबारी अभी तक शुरू नहीं हुई है। अक्सर सर्दियों के मौसम में बर्फबारी के कारण इन क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, लेकिन इस बार ऐसा होता नज़र नहीं आ रहा। इस मौसम के आगमन के साथ ही आसमान में बादलों का दिखाई ना देना पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन का गंभीर संकेत हो सकता है।
केरल, कश्मीर और लद्दाख में भी मौसम सामान्य है, जहां औसत बर्फबारी का स्तर उम्मीद से कम है। विशेषकर लद्दाख में बर्फबारी की मात्रा पिछले साल की तुलना में लगभग 40% कम है। इससे यह संकेत मिलता है कि जलवायु परिवर्तन का असर अब साफ-साफ दिखाई दे रहा है।
बर्फबारी का ना होना न सिर्फ ट्रैवल इंडस्ट्री के लिए चिंता का विषय है, बल्कि पानी की कमी का एक गंभीर खतरा भी है। जब बर्फपत्थर पिघलते हैं, तब यह नदियों में पानी का स्तर बढ़ाते हैं, जिससे सिंचाई और घरेलू जल आपूर्ति की जरूरतें पूरी होती हैं। ऐसे में यदि बर्फबारी नहीं होती है, तो आने वाले समय में जल संकट को लेकर चिंता बढ़ सकती है।
इस विशेष परिस्थिति में, स्थानीय कृषि और जल संसाधन विशेषज्ञों का कहना है कि हमें जलवायु परिवर्तन के प्रति ज्यादा जागरूक रहना होगा। इसके अलावा, हमें वैकल्पिक जल संसाधनों की खोज और विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि आने वाले समय में जल संकट का सामना करने के लिए तैयार रहें।
हिमाचल और उत्तराखंड में बर्फबारी का इंतज़ार करने वाले पर्यटकों को भी यह समझना होगा कि यदि बर्फबारी का स्तर घटता है, तो यह क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन स्थलों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, पर्यटकों को अपने यात्रा कार्यक्रमों को समायोजित करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
वर्तमान में, मौसम विभाग ने कुछ हल्की बर्फबारी की उम्मीद जताई है, लेकिन यह स्थिति भी पूरी तरह से निर्भर करती है कि पर्यावरणीय कारक कैसे विकसित होते हैं। अगर यही स्थिति रही, तो हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में न केवल बर्फबारी का इंतज़ार लंबा खिंच सकता है, बल्कि जल संकट का खतरा और भी बढ़ सकता है।