दिल्ली की विधानसभा में 5 साल में 3 BJP सीएम: क्या था वो अनोखा दौर?
दिल्ली की राजनीति में 1993 से 1998 का समय था तीन BJP सीएम का, जानें उस दौर की कहानियां और घटनाएं।
1993 से 1998 के बीच, दिल्ली विधानसभा ने एक ऐसे अनोखे दौर का सामना किया, जिसमें बीजेपी के तीन प्रमुख सीएम बने। यह समय न केवल राजनीतिक हलचल से भरा था, बल्कि लोगों के बीच एक नई उम्मीद और तरह-तरह के अनुभवों का भी गवाह बना। इस समय के दौरान, मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज ने दिल्ली के मुख्यमंत्रियों के रूप में अपनी छाप छोड़ी।
इस दौरान, पहले सीएम मदनलाल खुराना का कार्यकाल 1993 से 1996 तक चला। उनके शासन में दिल्ली में विकास की नई योजनाएं और अवसंरचना परियोजनाएं शुरू की गईं। लोग उन्हें एक मजबूत और सक्षम नेता के रूप में याद करते हैं, जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। उनका ध्यान नागरिक सुविधाओं के सुधार और कानून-व्यवस्था की स्थिति को ठीक करने पर था।
इसके बाद साहिब सिंह वर्मा का कार्यकाल 1996 से 1998 तक रहा। साहिब सिंह ने गरीबों और कामकाजी वर्ग के लिए कई योजनाएं बनाईं। उनका कार्यकाल उन दिनों की चुनौतियों से भरा था, लेकिन उन्होंने हमेशा जनता की भलाई के लिए काम किया। उन्होंने दिल्ली में कई विकास परियोजनाएं शुरू की, जो आज भी लोगों के लिए लाभकारी साबित हो रही हैं।
फिर आया सुषमा स्वराज का कार्यकाल, जो 1998 में शुरू हुआ। वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं और उन्होंने राजनीति में महिला सशक्तिकरण का एक नया अध्याय लिखा। उनके कार्यकाल के दौरान दिल्ली की यूपी से संपर्क बनाने वाली सड़कों का विकास तेज हुआ और लोगों ने बिजली और पानी की समस्याओं को सुलझाने में तेजी देखी। उनका नेतृत्त्व शैली और राजनीतिक साहस ने उन्हें दिल्लीवासियों के दिलों में खास जगह दिलाई।
इस तरह, 5 साल में तीन मुख्यमंत्री बदलने के बावजूद, भाजपा ने दिल्ली की राजनीति में अपनी पकड़ को मजबूत किया। उस समय की राजनीतिक परिस्थितियों ने एक ऐसा माहौल बनाया, जहां जनता ने अपने चहेते नेताओं को देखा और अनुभव किया।
इस एक दशक के अनुभव ने दिल्ली की राजनीतिक सोच बदलकर रख दी। आज भी लोग उस दौर को याद करते हैं और उन तीन प्रमुख नेताओं की उपलब्धियों को लेकर चर्चा करते हैं। दिल्ली की राजनीति की यह कहानी आज भी एक सीख बनकर सामने आती है।