बॉम्बे हाई कोर्ट से गौतम अडानी को मिली राहत, 2012 से चल रहा था मामला
बॉम्बे हाई कोर्ट ने गौतम अडानी को 388 करोड़ रुपये के मार्केट वॉयलेशन केस में क्लीनचिट दी है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में उद्योगपति गौतम अडानी और उनके भाई राजेश अडानी को 388 करोड़ रुपये के मार्केट वॉयलेशन मामले में क्लीनचिट दे दी है। यह मामला 2012 से चल रहा था, और इस फैसले ने अडानी ग्रुप के लिए एक बड़ी राहत प्रदान की है।
फैसले में अदालत ने स्पष्ट किया कि अडानी ग्रुप पर लगाये गए आरोपों का कोई भी ठोस सबूत नहीं मिला है। इस मामले में सबसे पहले शिकायत 2012 में Securities and Exchange Board of India (SEBI) द्वारा की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अडानी ग्रुप ने शेयर का गलत तरीके से मूल्यांकन किया। इस मामले की जाँच में लगभग 11 साल का समय लगा, जिसमें विभिन्न नियमों और विनियामक प्रावधानों का ध्यान रखा गया।
अदालत ने घायल निवेशकों और मार्जिन नियमों के उल्लंघन के आरोपों को भी खारिज कर दिया। इसके साथ ही, अदालत ने यह भी कहा कि अडानी ग्रुप के पास जो डेटा और दस्तावेज थे, वे सभी सही थे। इस फैसले के बाद अडानी ग्रुप की कंपनी के शेयर बाज़ार में बढ़ने की संभावना बढ़ गई है।
गौतम अडानी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि "यह उन सभी लोगों के लिए एक जीत है जो सत्य और न्याय में विश्वास रखते हैं। हम हमेशा कानून के प्रति समर्पित रहे हैं और यह फैसला इसकी पुष्टि करता है।"
हालांकि, इस मामले को लेकर विपक्षी दलों द्वारा सरकार पर सवाल उठाए जा रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि यह मामला राजनीति से प्रेरित था और अडानी ग्रुप को बचाने के लिए अधिकारी संजीदगी से काम नहीं कर रहे थे। परंतु अदालत के इस निर्णायक फैसले ने सभी शंकाओं को दूर कर दिया है।
इस फैसले के बाद, अडानी ग्रुप के शेयरों में तेजी आने की उम्मीद है, जिससे निवेशकों में सकारात्मक भावना उत्पन्न होगी। इस फैसले का असर न केवल अडानी ग्रुप, बल्कि पूरे मार्केट पर भी देखने को मिलेगा।
इसके अलावा, यह घटनाक्रम इस बात का भी संकेत है कि भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस और बाजार की पारदर्शिता को लेकर नियमों का पालन किया जा रहा है।
सबसे महत्वपूर्ण, यह निर्णय यह बताता है कि न्यायालय न केवल कानून को लागू करने में बल्कि उद्योगों की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।