भारत में बाघों की बढ़ती संख्या: संरक्षण के प्रति नई उम्मीद
भारत में बाघों की संख्या में 65% का इजाफा, जो दर्शाता है संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदमों का सकारात्मक प्रभाव।
भारत में बाघों की संख्या में बेहतरीन बढ़ोतरी हुई है। 2014 में भारत में बाघों की संख्या केवल 2,226 थी, जो अब 2024 में बढ़कर 3,682 हो गई है। इस 10 साल की अवधि में बाघों की संख्या में 65% का इजाफा हुआ है। यह जानकारी हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट में सामने आई है, जो देश में बाघों के संरक्षण में किए गए प्रयासों की सफलता को दर्शाती है।
बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है और इसके संरक्षण के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों में 'टाइगर रिजर्व' एवं 'प्रोजेक्ट टाइगर' जैसे महत्वपूर्ण कदम शामिल हैं। इन पहलों ने बाघों की संख्या को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत में बाघों का निवास मुख्यतः जंगलों, खासकर उत्तर और मध्य भारत के घने जंगलों में पाया जाता है। बाघों के प्रवास स्थल को सुरक्षित करने के लिए इन क्षेत्रों में मानव गतिविधियों को नियंत्रित किया गया है। इसके साथ ही, बाघों के शिकार पर रोक लगाने और उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करने की दिशा में भी कई कदम उठाए गए हैं।
हालांकि, इस संख्या में वृद्धि के बावजूद बाघों के सामने अब भी कई चुनौतियाँ मौजूद हैं। वन क्षेत्र का सिकुड़ना, मानव-पशु संघर्ष और अवैध शिकार जैसी समस्याएँ बाघों के अस्तित्व के लिए खतरा बनी हुई हैं। बाघों की संख्या में बढ़ोतरी के लिए सतत संरक्षण एवं जन जागरूकता आवश्यक है।
वर्तमान में, भारत में बाघों की सबसे बड़ी जनसंख्या मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में पाई जाती है। बाघों के संरक्षण में सफलता ने न केवल बाघों की संख्या को बढ़ाया है, बल्कि यह जंगलों की जैव विविधता को भी बनाए रखने में सहायक है। इस सफलता की कहानी हम सभी के लिए एक प्रेरणा है कि जब हम मिलकर प्रयास करते हैं, तो सफलता अवश्य मिलती है।
सं्रक्षण और विकास की इस यात्रा में हमें आगे भी बाघों और उनके आवास की सुरक्षा के लिए जुटे रहना होगा। बाघ हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनकी सुरक्षा हम सबकी जिम्मेदारी है।