अखिलेश यादव का बीजेपी पर हमला: शेयर बाजार की गिरावट का किया जिम्मेदार
अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर शेयर बाजार में गिरावट का आरोप लगाया, कहा- निवेशक अब सरकार पर विश्वास नहीं कर रहे।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने हाल ही में शेयर बाजार में आई गिरावट को लेकर बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सरकार की गलत नीतियों के कारण शेयर बाजार में गिरावट आई है और इससे आम निवेशक भी प्रभावित हो रहे हैं। अखिलेश ने कहा कि जब निवेशकों का विश्वास उठता है, तो इसका सीधा असर बाजार पर पड़ता है।
अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा कि यह गिरावट सिर्फ स्टॉक मार्केट तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे न्यूट्रल इकोनॉमी को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा, "लोग अपनी मेहनत की कमाई को निवेश करने में हिचकिचा रहे हैं क्योंकि उन्हें बीजेपी सरकार की नीतियों पर भरोसा नहीं रहा।" इससे यह साफ है कि वे अब बाजार में अपनी पूंजी लगाने से डर रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को देश में व्यापार, निवेश और रोज़गार के लिए सही दिशा में कदम उठाने चाहिए। लेकिन, जो कुछ भी हो रहा है, वह इसके ठीक उलट है। इस गिरावट के कारण आम आदमी की जेब पर भी असर पड़ा है। उनके मत में, जब बाजार में गिरावट होती है, तो इसका हमेशा बुरा प्रभाव शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सेवाओं पर पड़ता है।
अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार के आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि और भी कई बातें हैं जो इस गिरावट का कारण बन रही हैं, जिसमें महंगाई और बेरोजगारी भी शामिल हैं। उन्हें लगता है कि यदि सरकार सच में जनता की भलाई चाहती है, तो उसे इन समस्याओं का समाधान ठोस तरीके से करना होगा।
अखिलेश के आरोप के जवाब में बीजेपी नेताओं ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था ने कई बाधाओं का सामना किया है, और सरकार लगातार इसे सुधारने के लिए प्रयासरत है। हालांकि, अखिलेश यादव ने इसे नाकामयाब बताया और कहा कि लोगों को अब सुनिश्चित होना चाहिए कि उनकी मेहनत की कमाई सुरक्षित है।
राजनीति में ऐसे रुख-रवैये आने वाले दिनों में खासा दिलचस्प होने वाले हैं, क्योंकि दुनिया के प्रमुख अर्थशास्त्री भी भारत की आर्थिक स्थिति पर निगाहें बनाए हुए हैं। अब यह देखना होगा कि ตลาด में विश्वास बहाल करने के लिए केंद्र सरकार क्या कदम उठाती है।
अखिलेश यादव के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में फिर से एक बार इस बात को उजागर कर दिया है कि चुनाव के नजदीक आने पर आर्थिक मुद्दों पर राजनीति कितनी गरम हो सकती है।