पुतिन की भारत यात्रा: तेल, S-400 और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के बढ़ते दांव

पुतिन दिसंबर में भारत आ रहे हैं, चर्चा S-400, तेल और यूक्रेन युद्ध पर। क्या होगी नई रणनीतियाँ?

दिसंबर का महीना भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस महीने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नई दिल्ली की यात्रा पर आ रहे हैं। यह यात्रा 4 दिसंबर को प्रस्तावित है और इसमें कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा हो सकती है। सबसे खास बात यह है कि इस बार की यात्रा में जोर S-400 मिसाइल सिस्टम, तेल व्यापार और यूक्रेन युद्ध के मुद्दों पर होगा।

जब से रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, तब से पुतिन और भारत की सरकार के बीच संबंधों में एक नया विस्तार देखने को मिला है। भारत ने हमेशा से एक संतुलित विदेश नीति अपनाई है, लेकिन वर्तमान वैश्विक स्थिति में उसे अपनी आवश्यकताओं के हिसाब से निर्णय लेने में सावधानी बरतनी होगी।

S-400 वायु रक्षा प्रणाली भारत और रूस के बीच एक महत्वपूर्ण परिप्रेक्ष्य है। भारत ने Russians से यह missile system खरीदा है, जिसे दुनिया की सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है। पुतिन की इस यात्रा के दौरान, संभवतः इस प्रणाली के उपयोग, संचालन और किसी नए समझौते पर भी चर्चा होगी।

वहीं, अन्य देशों द्वारा भारतीय तेल पर लगे प्रतिबंधों के चलते, भारत ने रूस से तेल की खरीद बढ़ा दी है। भारत का यह कदम उसके बढ़ते आर्थिक विकास और ऊर्जा सुरक्षा को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण है। तेल की माध्यमिक आपूर्ति में रूस एक महत्वपूर्ण साझेदार बन चुका है। पुतिन के साथ भारत के ऊर्जा संबंधों में और मजबूती देखने को मिल सकती है।

पुतिन की यात्रा का कुछ हिस्सा यूक्रेन युद्ध को लेकर भी होगा। दुनिया भर में बढ़ते तनाव और युद्ध की स्थितियों ने भारत को कई सारे राजनीतिक दांव के सांचे में ला दिया है। रूस की स्थिति और उसके उपायों के बारे में जानने के लिए भारत को समझदारी से काम लेना होगा।

हालांकि, इस यात्रा का एक और दिलचस्प पहलू यह भी है कि इससे अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में खलबली बढ़ सकती है। भारत यदि रूस के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करता है, तो ट्रंप प्रशासन या अमेरिका के अन्य नेता इसे सकारात्मक तरीके से नहीं लेंगे। भारत को इस यात्रा के जरिए स्पष्ट करना होगा कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के तहत ही अपने संबंध विकसित कर रहा है, न कि किसी एक देश के दबाव में आकर।

पुतिन की भारत यात्रा से न केवल द्विपक्षीय संबंधों में वृद्धि होगी, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी नई हलचल देखने को मिलेगी। इसका प्रभाव केवल भारत पर नहीं, बल्कि दुनियाभर के देशों पर पड़ेगा।

कुल मिलाकर, आगामी पुतिन की यात्रा एक महत्वपूर्ण घटना होगी, जो न केवल रूस और भारत के रिश्तों का नया आयाम खुलेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी नए समीकरण स्थापित करने का कार्य करेगा।

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