निठारी कांड: मोनिंदर पंढेर का विवादास्पद इंटरव्यू

मोनिंदर पंढेर ने निठारी कांड पर अपनी बेगुनाही का दावा किया। जानिए उनके बयान में क्या है खास।

निठारी कांड, जो कि 2006 में हुआ था, एक ऐसा मामला है जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस कांड में 16 मासूम बच्चों के लापता होने के बाद उनके शव निठारी गांव के एक कसाईखाने से बरामद किए गए थे। इस मामले के मुख्य आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर को हाल ही में बरी किया गया है। उन्हें 2023 में न्यायालय द्वारा निर्दोष माना गया। इस समय, उन्होंने एक वीडियो इंटरव्यू में अपनी बात साझा की, जिसने फिर से इस विवादास्पद मामले को चर्चा में ला दिया।

मोनिंदर का बयान
इंटरव्यू में मोनिंदर ने कहा कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा था और उन्होंने हमेशा अपनी बेगुनाही का दावा किया है। उनका कहना है कि वे एक निर्दोष व्यक्ति हैं और वह किसी भी तरह की गुनाह से दूर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस फैसले के बाद राहत मिली है, लेकिन इस मामले ने उनके जीवन को पूरी तरह से प्रभावित किया। उन्होंने कहा, "मैंने किसी को नहीं मारा, मैंने सिर्फ अपनी जिंदगी जीने की कोशिश की।"

सामाजिक प्रभाव
निठारी कांड ने समाज में एक गहरा सन्नाटा छोड़ दिया था और यह सवाल उठाया था कि आखिर बच्चों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए। इस मामले ने बच्चों के प्रति अपराध और इसके खिलाफ कानून की मजबूती को भी सामने रखा। मोनिंदर पंढेर के बरी होने पर अलग-अलग विचार सामने आए हैं। कुछ लोगों का मानना है कि न्यायालय का निर्णय सही है, जबकि दूसरों का कहना है कि यह मामला अभी भी न्यायिक प्रक्रिया में चल रहा है।

कानूनी पहलू
इस मामले में कानूनी नीतियों पर भी चर्चा बनी रही है। न्यायालय ने कहा कि सबूतों की कमी के कारण मोनिंदर को बरी किया गया। कानून में साक्ष्यों के बिना किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या हमारा न्यायालय व्यवस्था बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों को पूरी तरह से रोकने में सक्षम है।

वास्तविकता का सामना
बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। निठारी कांड ने न केवल एक परिवार को बल्कि समाज के हर सदस्य को प्रभावित किया है। मोनिंदर का बयान केवल एक व्यक्ति की स्थिति नहीं है, बल्कि यह पूरे सिस्टम पर सवाल उठाने हेतु एक उदाहरण है।

इस मामले पर चर्चा जारी है, और समाज के हर तबके में इस पर प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। न्यायपालिका की भूमिका और इसके निर्णयों पर सवाल उठाना हमारी जिम्मेदारी है, ताकि भविष्य में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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