जेलेंस्की का सऊदी दौरा रद्द, अमेरिका-रूस की मीटिंग के बाद नया मोड़
Ukrainian President Zelensky ने युद्धविराम मीटिंग के बाद सऊदी अरब का दौरा रद्द किया, क्या है इसके पीछे की वजह?
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने सऊदी अरब का अपना planned दौरा रद्द कर दिया है। यह फैसला उन्होंने अमेरिका और रूस के बीच आयोजित बैठक के बाद लिया। इस बैठक का उद्देश्य युद्धविराम के संबंध में बात करना था, जो कि चल रही यूक्रेन-रूस युद्ध की स्थिति में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस मीटिंग में, अमेरिकन और रूसी प्रतिनिधियों ने एक नई पहल पर चर्चा की, जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि युद्ध की आग को कम किया जा सकेगा। पिछले कुछ हफ्तों में, यूक्रेन अपने allies के साथ मिलकर रूस के खिलाफ एक मजबूत सैन्य रणनीति पर काम कर रहा था। ऐसे में, जेलेंस्की की यात्रा रद्द करना एक रणनीतिक निर्णय के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा है कि जब तक युद्धविराम की स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक कोई भी यात्रा ठीक नहीं है।
जेलेंस्की का सऊदी अरब जाना एक महत्वपूर्ण संकेत था, क्योंकि सऊदी अरब ने कई बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति प्रक्रिया के लिए अपनी मध्यस्थता की पेशकश की है। लेकिन युद्धविराम की जगह अगर सिर्फ मीटिंग्स होती हैं, तो यह उनके लिए व्यर्थ प्रतीत हो रहा है। इसके अलावे, सऊदी अरब की स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए, जेलेंस्की के लिए यह एक सही समय नहीं था।
वहीं, रूस के सामने भी स्थिति कुछ आसान नहीं है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ अपनी आक्रमकता को जारी रखा है, जिससे वैश्विक स्तर पर तनाव और बढ़ गया है। अमेरिका के साथ मीटिंग के बाद, यह सवाल भी उठता है कि क्या अब रूस अपनी रणनीति में कोई बदलाव करेगा या नहीं।
इस पूरे घटनाक्रम में जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह यह है कि विश्व के नेताओं को समझना होगा कि युद्ध का समाधान सिर्फ बातचीत से संभव है। जेलेंस्की के इस निर्णय से यह साफ होता है कि वह एक सकारात्मक माहौल का इंतजार कर रहे हैं, जिससे शांति की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके। यह देखकर यह भी उम्मीद है कि भविष्य में ऐसे और सकारात्मक संवाद होंगे। जिस तरह से इस समय युद्धविराम की चर्चा की जा रही है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि सभी पक्ष एक समझौते पर पहुँचने के लिए तत्पर हैं।
आखिरकार युद्ध केवल मानवता के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी खतरा है। ऐसे में उम्मीद यही है कि सभी नेता मिलकर एक उचित और प्रभावी समाधान निकालेंगे।