ग्रेटर नोएडा में CISF जवान की दुखद आत्महत्या ने सुरक्षा व्यवस्था पर उठाए सवाल

ग्रेटर नोएडा के NTPC दादरी प्लांट में CISF जवान ने ड्यूटी के दौरान आत्महत्या कर ली, जिससे सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं।

हाल ही में ग्रेटर नोएडा के NTPC दादरी प्लांट में एक CISF जवान ने आत्महत्या कर ली है, जो कि सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है। यह घटना उस समय हुई जब जवान अपने ड्यूटी पर तैनात था। रिपोर्ट्स के अनुसार, जवान ने अपने सर्विस रिवाल्वर से खुद को गोली मारी। घटना के बाद पूरे सुरक्षा क्षेत्र में हड़कंप मच गया।

इस जवान की पहचान 35 वर्षीय अग्नि शुक्ला के रूप में की गई है। उन्होंने अपने अधिकारियों को बताया था कि वह ठीक महसूस नहीं कर रहे हैं, लेकिन उसके बावजूद ड्यूटी पर जाने से इंकार नहीं किया। ऐसा लगता है कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों ने उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया।

इस दुखद घटना के बाद, उनके परिवार वाले भी सदमे में हैं। घर वापस लौटने पर परिवार ने बताया कि जवान कई महीनों से मानसिक तनाव में था लेकिन किसी को इसके बारे में जानकारी नहीं थी। परिवार की चिंता इस बात को लेकर है कि जवान ने मदद की गुहार क्यों नहीं लगाई। यह सवाल ऐसे समय में और भी गहरा हो जाता है जब हम देखते हैं कि देश में सुरक्षा बलों की मानसिक स्वास्थ्य प्राथमिकता को नजरअंदाज किया जा रहा है।

सुरक्षा बलों के जवान, जो देश की सीमाओं की सुरक्षा करते हैं, अक्सर तनाव और अवसाद का सामना करते हैं। उनके मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करने की आवश्यकता है, लेकिन यह अक्सर उपेक्षित होता है। ऐसे मामलों में, जागरूकता और सहायता प्रणाली की कमी दिखाई देती है। यह अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन जवानों के लिए समर्थन नेटवर्क बनाएँ।

विडंबना यह है कि हमारे जवानों का काम देश को सुरक्षित करना है, लेकिन वे खुद सुरक्षित और मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं। इस घटना ने हम सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम इन वीरों के लिए क्या कर सकते हैं। क्या हम उन्हें इसके बारे में बोलने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं? क्या हमें उनके मानसिक स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई मजबूत योजना बनानी चाहिए?

सीआईएसएफ (CISF) और अन्य सुरक्षा बलों के लिए यह समय है कि वे न केवल बाहरी सुरक्षा समस्याओं पर ध्यान दें, बल्कि अपने जवानों के अंदर की समस्याओं का भी समाधान करें। इसी प्रकार की घटनाएँ भविष्य में होने से रोकने के लिए, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और सहायता समूहों की स्थापना की जानी चाहिए। हमारे जवानों का जीवन भी महत्वपूर्ण है और हमें इसे प्राथमिकता देनी चाहिए।

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