घरेलू घी की बढ़ती मांग: भारतीय अर्थव्यवस्था का नया साथी
घरेलू घी की मांग में इजाफा, विदेशी बाजार में भी धूम! जानें कैसे ये ट्रेंड भारतीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट कर रहा है।
हाल के दिनों में देसी घी की मांग में इजाफा देखने को मिला है। भारतीय बाजार में घी की खपत बढ़ने का एक बड़ा कारण जीएसटी में की गई कटौती है। जीएसटी कटौती के बाद, लोग देसी घी को खरीदने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। यह न केवल यहाँ के बाजार के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा बूस्टर साबित हो सकता है।
घी का हमारे संस्कृति में एक विशेष स्थान है। भारतीय परिवारों में रोजाना के खाने में घी का उपयोग करने की परंपरा है। लेकिन अब यह सिर्फ घरेलू उपभोक्ताओं तक सीमित नहीं रहा। विदेशी बाजारों में भी देसी घी की मांग तेजी से बढ़ रही है। यह भारतीय उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, खासतौर पर उन देशों में जहां भारतीय मूल के लोग बसते हैं।
हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि पिछले एक साल में देसी घी का उत्पादन और खपत दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, कई प्रमुख ब्रांड्स ने अपनी प्रोडक्शन कैपेसिटी को बढ़ाया है ताकि वे बढ़ती मांग को पूरा कर सकें। खासकर, अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भारतीय घी की मांग में भारी वृद्धि देखी गई है।
इस बढ़ती मांग ने ना केवल देसी घी उत्पादकों को लाभ पहुंचाया है, बल्कि इससे कृषि क्षेत्र में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। किसान अधिक मात्रा में दूध उत्पादित कर रहे हैं ताकि घी का उत्पादन बढ़ सके। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी एक नई दिशा मिली है।
यदि हम आंकड़ों पर ध्यान दें, तो घी की खपत में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि बहुत हद तक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और ऑर्गेनिक उत्पादों की तरफ बढ़ते रुझान से प्रेरित है। लोग अब देसी घी को स्वास्थ्यवर्धक मान रहे हैं और इसे कई व्यंजनों में शामिल कर रहे हैं।
विदेशों में देसी घी की वृद्धि ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नया मोड़ दिया है। इससे ना केवल किसानों को लाभ हो रहा है, बल्कि यह भारतीय उत्पादों की ब्रांडिंग को भी मजबूत कर रहा है। एक अनुमान के अनुसार, यदि यह ट्रेंड जारी रहा, तो आने वाले समय में देसी घी का निर्यात कई गुना बढ़ सकता है।
इस तरह, देसी घी की बढ़ती लोकप्रियता भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक नया बूस्टर साबित हो रही है। इसके उत्पादन और खपत ने कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंक दी है। अभी के लिए यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में देसी घी का बाजार और कितना विस्तारित होता है।