दिल्ली में आपदा सरकार पर PM मोदी का कड़ा संदेश
PM मोदी ने दिल्ली में कहा- ये कट्टर बेईमान लोग हैं, मैं भी महल बना सकता था, लेकिन गरीबों के लिए 4 करोड़ घर बनवाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कड़ा संदेश देते हुए कहा कि राजधानी में जो आपदा सरकार है, वह कट्टर बेईमान लोगों की है। उन्होंने कहा, "मैं भी शीश महल बना सकता था, लेकिन मैंने गरीबों के लिए 4 करोड़ घर बनवाए हैं।" यह बयान न केवल आम लोगों के लिए बल्कि राजनैतिक विश्लेषकों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
दिल्ली में विकास कार्यों की आधारशिला रखने वाले मोदी ने अपनी सरकार की योजनाओं के साथ-साथ विपक्ष के खिलाफ भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने गरीबों के उत्थान के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जो पिछले कुछ वर्षों में लागू हुई हैं। मोदी ने याद दिलाया कि उनकी सरकार ने कैसे विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता दी है।
बातचीत का मुख्य विषय जब आपदाओं और उन्होंने कहा कि कई गंभीर समस्याएं हैं जिनसे लोगों को जूझना पड़ रहा है। विद्युत, जल, वायु प्रदूषण और आवास की कमी जैसे मुद्दे उन समस्याओं का हिस्सा हैं जिनका सामना दिल्ली की जनता कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष हमेशा नकारात्मक दृष्टिकोण रखता है और उसके पास विकास के लिए कोई ठोस योजना नहीं है।
मोदी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "यह सिर्फ चुनावी राजनीति नहीं है, यह लोगों के जीवन से जुड़ा है। हम विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं और हर ज़रूरतमंद तक पहुंचेंगे।" उनका आत्मविश्वास स्पष्ट था जब उन्होंने कहा कि आगामी इन परियोजनाओं से लोगों की ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव आएगा।
भविष्य में दिल्ली को एक आदर्श शहर बनाने की घोषणाओं का जिक्र करते हुए, उन्होंने नागरिकों से भी अपील की कि वे मिलकर काम करें ताकि हर कोई लाभान्वित हो सके। प्रधानमंत्री की योजना है कि आने वाले समय में दिल्ली में विकास कार्य और अधिक स्पीड से हो।
समाज के हर वर्ग के लोगों को ध्यान में रखते हुए 'घर' निर्माण की योजना को प्राथमिकता दी गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि मोदी सरकार वाकई में हर व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाना चाहती है। यह कार्यक्रम यह दर्शाता है कि केंद्र सरकार दिल्ली में स्थायी विकास के लिए कटिबद्ध है।
परंतु, सवाल यह भी उठता है कि क्या विरोधी दल इन विकास कार्यों को सही रूप से पहचानेंगे या फिर इसे भी राजनीतिक खेल का एक हिस्सा बनाएंगे। यह तो वक्त ही बताएगा कि आम आदमी के मुद्दों को किस तरह से सुलझाया जाएगा।