दिल्ली का रावण: रविंदर कुमार की दास्तान
7 सालों में 30 बच्चियों के कत्ल और दरिंदगी के मामले में सीरियल किलर रविंदर कुमार की खौफनाक कहानी।
दिल्ली की सर्द रातों में जब बाहर की दुनिया बेखबर थी, एक रावण जैसा दरिंदा अपनी दरिंदगी की पराकाष्ठा पर था। रविंदर कुमार, एक ऐसा नाम जिसने 7 साल के दौरान 30 नाबालिग बच्चियों को अपना शिकार बनाया। यह कहानी इतनी डरावने तथ्यों से भरी है कि इसे सुनकर हर कोई सिहर उठेगा।
असल में, यह मामला केवल हत्या का नहीं, बल्कि नाबालिगों के साथ बलात्कार और उनकी लाशों के साथ अमानवीय हरकतों का भी है। पिछले कुछ वर्षों में, जब इस केस की सच्चाई उजागर हुई, तो समाज के एक बड़े हिस्से ने इसे सुनकर अपनी आँखे खोलीं। कानून की न्यायिक प्रक्रिया ने इस मामले को तेजी से चलाया और अपनी जड़े समाज में गहराई तक फैला दिया।
वरीय पुलिस अधिकारियों ने बताया कि रविंदर कुमार ने अपनी हैवानियत का शिकार उन निर्दोष बच्चियों को बनाया, जो कभी भी उसके ख़तरनाक इरादों का शिकार नहीं बनतीं। वह भले ही एक साधारण व्यक्ति की तरह दिखता हो, लेकिन उसके दिल में दबी दरिंदगी ने कई जिंदगियों को बर्बाद किया।
मामला तब ज़्यादा गंभीर हो गया जब पुलिस को पता चला कि रविंदर ने अपने शिकार के बाद केवल हत्या नहीं की, बल्कि उनकी लाशों के साथ भी क्रूरता दिखाई। यह जानकर पूरे देश में हड़कंप मच गया। इस मुद्दे ने न केवल इंसाफ की मांग को जोरदार किया, बल्कि नाबालिगों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर नज़र रखने की ज़रूरत भी उजागर की।
अब, जब इस केस का पर्दाफाश किया जा रहा है, तो लोगों में सुरक्षा के प्रति एक नई जागरूकता आई है। माता-पिता अपनी बच्चियों को बाहर भेजने में धीरे-धीरे सतर्क हो रहे हैं और इसके साथ ही, समाज ने भी इस मुद्दे पर खुलकर बात करना शुरू कर दिया है। क्या यह डरवाना सच हमें एक नई दिशा देगा? क्या हम अपनी बच्चियों की सुरक्षा को सुनिश्चित कर पाएंगे? ये वो सवाल हैं जो हर मां-बाप के मन में खटक रहे हैं।
इस प्रकार, रविंदर कुमार की दास्तान ने हमें एक गहरी सोचने की प्रेरणा दी है कि हमें समाज में ऐसे दरिंदों के खिलाफ लड़ाई कैसे करनी चाहिए। सिर्फ कानूनी कार्रवाई ही नहीं, बल्कि सामूहिक सामाजिक चेतना भी आवश्यक है।