डेरेक ओ'ब्रायन का बयान: मोदी गोलवलकर से आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं
TMC नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने पीएम मोदी को गोलवलकर से आगे निकलने की कोशिश करने का आरोप लगाया। RSS की प्रशंसा पर उठे सवाल।
हाल ही में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कठोर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि मोदी जी गोलवलकर की विचारधारा से आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं। इसका जिक्र तब हुआ जब पश्चिम बंगाल के उपराज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की प्रशंसा की गई। डेरेक ओ'ब्रायन ने इस बात पर चिंता जताई कि मोदी जी का यह प्रयास भारत की राजनीति के लिए सही नहीं है।
डेरेक ओ'ब्रायन ने ध्यान दिलाया कि RSS की विचारधारा, खासकर गोलवलकर की, केवल एक विशेष समुदाय को बढ़ावा देने की दृष्टि रखती है और इससे भारत की विविधता को खतरा है। उन्होंने कहा, "मोदी जी हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि वे गोलवलकर के विचारों से भी आगे निकलें। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है, जो भारत की सहिष्णुता और एकता को कमजोर कर सकती है।"
इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने यह भी कहा कि यह स्पष्ट है कि सरकार RSS की नीतियों पर चल रही है और इससे भारत की धर्मनिरपेक्षता को खतरा हो सकता है। उनके अनुसार, मोदी जी की नीतियाँ धीरे-धीरे गोलवलकर की विचारधारा को मजबूत कर रही हैं। टीएमसी नेता ने यह भी बताया कि अगर हम इस दिशा में नहीं रुके, तो यह हमारे देश के लिए बहुत बड़ा संकट बन सकता है।
डेरेक ओ'ब्रायन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब मोदी सरकार पर कई मोर्चों पर उपज रहे सवालों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार की नीतियाँ आम जनता के हित में नहीं हैं और ये RSS की विचारधारा के अनुसार चल रही हैं।
इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कई राजनीतिक लोगों ने कहा है कि ये केवल एक राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि एक चेतावनी भी है। यह दर्शाता है कि राजनीतिक दल अपनी विचारधाराओं को आगे बढ़ाने के लिए कितनी जोरदार कोशिश कर रहे हैं।
उच्चतम न्यायालय द्वारा सामान्य बौद्धिक स्वतंत्रता और विचारों की बहुलता के महत्व को रेखांकित करते हुए, यह देखना होगा कि राजनीतिक दल अपने कार्यों पर ध्यान कैसे देते हैं। डेरेक ओ'ब्रायन का यह बयान एक विचारशील राजनीतिक वातावरण बनाने का प्रयास कर रहा है, जिसमें सबकी आवाज़ सुनाई दे।
पीएम मोदी और RSS पर इस तरह की टिप्पणियाँ आम के बीच राजनीतिक बातचीत शुरू करने के लिए भी प्रेरणा देती हैं। यह संकेत देता है कि विभिन्न राजनीतिक पार्टियाँ इस मुद्दे पर एकजुट होकर विचार कर सकती हैं।