ब्रेस्ट कैंसर की जांच: मैमोग्राफी पर भरोसा ना करें, जानें मुख्य बातें

ब्रेस्ट कैंसर जांच के लिए सिर्फ मैमोग्राफी पर निर्भर होना सही नहीं। जानें 5 मुख्य कारण क्यों ये आवश्यक नहीं।

ब्रेस्ट कैंसर आज की तारीख में महिलाओं के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है। और इसी खतरे से बचने के लिए, महिलाएँ अक्सर मैमोग्राफी का सहारा लेती हैं। लेकिन हालिया अध्ययन और कई डॉक्टरों की राय यह संकेत देती है कि ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए सिर्फ मैमोग्राफी पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। यहाँ हम कुछ मुख्य कारणों पर चर्चा करेंगे।

सबसे पहले, मैमोग्राफी के नतीजे हमेशा सटीक नहीं होते। कई बार ये गलत पॉजिटिव या गलत नेगेटिव परिणाम दे सकती है। इसका मतलब है कि आपको जांच के बाद ये जानने में मुश्किल हो सकती है कि आपको वास्तव में कैंसर है या नहीं। डॉक्टरों का मानना है कि अगर मैमोग्राफी के द्वारा कैंसर का पता नहीं चलता है, तो यह आपके लिए गंभीर समस्या बन सकता है।

दूसरे, कुछ महिलाएँ अपने ब्रेस्ट में लम्प महसूस करती हैं, लेकिन जब वे मैमोग्राफी कराती हैं, तो नतीजे सामान्य आते हैं। इसलिए, स्वयं ब्रेस्ट एक्सामिनेशन भी बहुत ज़रूरी है। महिलाओं को चाहिए कि वे हर महीने अपने ब्रेस्ट का चेकअप करें ताकि किसी भी प्रकार की असामान्यताओं का जल्दी पता चल सके।

तीसरे, मैमोग्राफी के दौरान एक्सपोजर से होने वाला रेडिएशन भी चिंता का विषय है। हालांकि इसका स्तर बहुत कम होता है, फिर भी लंबे समय तक इसके संपर्क में आने का खतरा बना रह सकता है। इसीलिए, खासकर उन महिलाओं के लिए जो बार-बार मैमोग्राफी कराती हैं, यह ध्यान में रखना बहुत आवश्यक है।

चौथे, मैमोग्राफी के लिए उम्र की कोई निर्धारित सीमा नहीं होती, लेकिन कई विशेषज्ञ यह सुझाव देते हैं कि महिलाएँ 40 साल की उम्र के बाद नियमित रूप से मैमोग्राफी कराएँ। इसका मतलब यह नहीं है कि यदि आप 40 से कम हैं तो आपको मैमोग्राफी नहीं करानी चाहिए। वास्तव में, ब्रेस्ट कैंसर परिवार में मौजूद होने पर युवा महिलाओं को भी अपनी जांच करानी चाहिए।

आखिरकार, कई स्वास्थ्य प्रणालियाँ भी हैं जो मैमोग्राफी के साथ-साथ ब्रेस्ट कैंसर के लिए और भी विश्वसनीयता बढ़ा सकती हैं। जैसे कि एमआरआई, अल्ट्रासाउंड, और जीन जांच आदि। इन सभी तरीकों का उपयोग एक साथ करके सही नतीजे पाना संभव हो सकता है।

इसलिए, यह आवश्यक है कि महिलाएँ केवल मैमोग्राफी पर निर्भर न रहें। बल्कि, उन्हें विभिन्न जांच विधियों के बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए और डॉक्टर से सलाह लेकर अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए। केवल इस तरह ही वे ब्रेस्ट कैंसर के खतरे से सुरक्षित रह सकती हैं।

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