बच्चों के स्क्रीन टाइम का असर उनके शैक्षणिक प्रदर्शन पर

बच्चों का एक घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम, उनकी शैक्षणिक परफॉर्मेंस को कर रहा है प्रभावित। जानें कैसे।

आज के दौर में तकनीक का उपयोग बच्चों के लिए बहुत बढ़ गया है। मोबाइल, टैबलेट और कंप्यूटर का स्क्रीन टाइम बढ़ता ही जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका बच्चों की पढ़ाई पर क्या असर हो रहा है? हाल ही में किए गए एक शोध में यह पाया गया है कि अगर बच्चे हर दिन एक घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम लेते हैं, तो उनके मार्क्स में 10% तक की कमी आ सकती है।

इस अध्ययन में बच्चों की शैक्षणिक प्रदर्शन की तुलना उनके स्क्रीन टाइम से की गई। अधिक स्क्रीन टाइम का मतलब था कम ध्यान केंद्रित करना, कम पढ़ाई करना और नतीजतन, खराब ग्रेड। यह शोध मुख्य रूप से शिक्षकों और अभिभावकों के लिए एक चेतावनी है। अकादमिक प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए बच्चों को उनके स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण रखना जरूरी है।

बच्चों में फिजिकल एक्टिविटी की कमी भी एक महत्वपूर्ण कारण है जो उनकी शिक्षा पर खतरनाक प्रभाव डाल सकती है। जब बच्चे लंबा समय स्क्रीन के सामने बिताते हैं, तो वे न केवल पढ़ाई से दूर होते हैं, बल्कि उनकी शारीरिक फिटनेस भी प्रभावित होती है। यह सब मिलकर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है—इसीलिए बच्चों के लिए सही बैलेंस बनाना बहुत जरूरी है।

अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को एक्टिविटी जैसे कि खेल, आउटडोर एक्टिविटीज और पढ़ाई में मदद करें। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करें कि बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित हो। शोध में यह भी पाया गया कि जिन बच्चों का स्क्रीन टाइम कम था, वे केवल बेहतर ग्रेड्स ही नहीं, बल्कि कुछ जरूरी लाइफ स्किल्स में भी बेहतर थे।

इंफोटेनमेंट की उम्र में बच्चों को विद्या और तकनीक का सही संतुलन सिखाने की जरूरत है। यह वक्त है बच्चों को यह सिखाने का कि टेक्नोलॉजी का उपयोग कैसे करना है, न कि इसे अपनी प्रगति का अहम हिस्सा बना लेना।

इसलिए अगर आपके बच्चे का स्क्रीन टाइम एक घंटे से ज्यादा है, तो इसे कम करने की दिशा में तुरंत कदम उठाएं। उनकी पढ़ाई, मानसिक स्वास्थ्य और भावी करियर के लिए यह न केवल जरूरी है, बल्कि फायदेमंद भी।

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