40 साल की उम्र में क्रिकेट की दुनिया में धूम मचाने वाला पारस डोगरा
पारस डोगरा ने 40 की उम्र में अपने 32वें रणजी शतक के साथ फिर से सबको चौंका दिया है। जानिए कैसे कर रहे हैं वो कमाल।
हाल ही में 40 साल की उम्र में पारस डोगरा ने रणजी ट्रॉफी में एक और शानदार पारी खेलकर अपने फैंस का दिल जीत लिया। डोगरा ने अपने परिचित अंदाज में जम्मू-कश्मीर और मुंबई के बीच खेले गए मैच में 32वां शतक ठोक दिया। ये उनकी क्रिकेट यात्रा की एक और माइलस्टोन है, जो यह साबित करता है कि उम्र सिर्फ एक नंबर है।
पारस डोगरा, जिन्होंने क्रिकेट की दुनिया में गरीब के लिए एक उदाहरण पेश किया है, ने हमेशा अपनी मेहनत और फोकस के बल पर खुद को साबित किया है। उनका ये शतक सिर्फ एक रन नहीं है, बल्कि युवाओं के लिए एक प्रेरणा भी है कि कैसे अगर कड़ी मेहनत की जाए तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।
जम्मू-कश्मीर के लिए खेलने वाले डोगरा ने इस मैच में दमदार 100 रन बनाए और अपनी टीम को जीत की ओर बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके बल्लेबाजी करने का तरीका और खेलने की शैली उन नए खिलाड़ियों के लिए प्रेरणादायक है जो अपने करियर की शुरुआत कर रहे हैं।
डोगरा का ये शतक कई मायनों में खास है। ये रणजी ट्रॉफी में उनकी लंबी और शानदार यात्रा की एक यादगार शाम बन गई। उनके सहयोगी खिलाड़ियों ने भी उनकी तारीफ की और कहा कि ऐसे खिलाड़ी कभी हार नहीं मानते। पारस डोगरा ने अपनी उम्दा तकनीक और अनुभव के दम पर भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा दी है। उन्होंने न केवल बल्लेबाजी में गुण दिखाए हैं बल्कि अपने अनुशासन और आत्मविश्वास से भी प्रेरणा ली।
थोड़ी-बहुत चोटों के बावजूद, डोगरा ने खुद को फिट रखा है और मैदान पर अपने खेल को बेहतर बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। ज़िन्दगी में कभी भी कठिनाइयों से हार न मानने का उनका संकल्प क्रिकेट जगत के लिए एक सबक है।
जम्मू-कश्मीर में क्रिकेट का स्वरूप बदलने में भी डोगरा का बड़ा हाथ है। उनकी बल्लेबाजी से ना केवल टीम को बल मिला है, बल्कि युवा क्रिकेटरों के लिए उन्होंने एक प्रेरणा का स्रोत बने हैं। उनके खेलने का स्टाइल और परिश्रम से नई पीढ़ी को प्रेरित किया जा सकता है।
अब सवाल ये है कि क्या डोगरा और आगे अपने शतक का आंकड़ा बढ़ा पाएंगे? क्या वो अगले रणजी मैचों में फिर से इस फॉर्म में नजर आएंगे? यही तो क्रिकेट की असली खूबसूरती है, जहां हर बार कुछ नया देखने को मिलता है।