यूक्रेन पर न्यूक्लियर अटैक का खतरा: क्या हो रहा है पीछे?
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष ने एक बार फिर से न्यूक्लियर अटैक की चर्चा को हवा दी है। हाल के वर्षों में, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बयान और उन परिप्रेक्ष्य ने वैश्विक सुरक्षा को लेकर चिंताएं पैदा की हैं।
यूक्रेन में जारी संघर्ष ने कीव के प्रति रूस के आक्रामक रुख को जन्म दिया है। पुतिन ने कई बार यह संकेत दिया है कि यदि रूस को कहीं पर अपनी सुरक्षा के लिए खतरा महसूस होता है, तो न्यूक्लियर हथियारों का उपयोग एक विकल्प हो सकता है। यह चिंता केवल यूक्रेन ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोप और अमेरिका में बढ़ रही है।
पुतिन की न्यूक्लियर नीति को लेकर उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक प्रकार का गेम चेंजर हो सकता है। पुतिन ने अपने न्यूक्लियर आर्म्स के इस्तेमाल की बात करते हुए कहा है कि यह सिर्फ एक डराने वाली तकनीक नहीं, बल्कि यदि आवश्यक हुआ तो इसे वास्तविकता में बदलने का इरादा भी हो सकता है। ऐसे में, दुनिया को इस बात का सही आकलन करने की जरूरत है कि रूस किस दिशा में बढ़ रहा है।
इस स्थिति का प्रभाव न केवल यूक्रेन पर, बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी पड़ रहा है। अमेरिका और नाटो जैसे देश रूस की गतिविधियों पर गहरी नजर रख रहे हैं और इस दिशा में कोई भी तात्कालिक कदम उठाने के लिए तैयार हैं। रूस की बातें एक बार फिर से न्यूक्लियर युद्ध की आशंका को उजागर कर रही हैं, जो पिछले कुछ समय से हैंड्स-ऑफ नीति की वजह से लोगों में धीरे-धीरे खत्म हो गई थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि पहले ही कई बार यूक्रेन में रूस की सेना द्वारा आम नागरिकों पर बमबारी की जा चुकी है, जो जनसंहार की भावना को जन्म देती है। इस परिस्थिति में, यदि न्यूक्लियर हथियारों का प्रयोग होता है, तो इसके परिणाम अत्यधिक विनाशकारी हो सकते हैं।
चिंता की बात यह है कि यदि न्यूक्लियर अटैक जैसी स्थिति पैदा होती है, तो न केवल यूक्रेन, बल्कि पड़ोसी देशों का भी अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। इसलिए, अब समय आ गया है कि सभी विश्व शक्तियां एकत्र होकर इस संकट का समाधान निकालें।
आगे क्या होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह संदेश स्पष्ट है कि न्यूक्लियर विकल्प हमेशा मेज पर रहता है, और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।