संघ के 100 साल: बैन और पटेल का विलय प्रस्ताव

देश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का इतिहास एक रोचक और विवादास्पद यात्रा से भरा रहा है। इस संगठन ने अपनी स्थापना के समय से ही कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। संघ के 100 साल पूरे होने पर हमें उनके बैन और सardar पटेल द्वारा कांग्रेस में विलय के प्रस्ताव की तरह कई महत्वपूर्ण घटनाओं का पुनरावलोकन करना चाहिए।

संघ की स्थापना 1925 में हुई थी। इसके संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगवार ने एक ऐसी संस्था की जरूरत महसूस की, जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता का लेकर एकता और अखंडता के लिए कार्य करे। हालांकि, संघ अक्सर विवादों में भी घिरा रहा है। 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर बैन लगा दिया गया था। इस बैन ने पूरे संगठन को एक नई चुनौती दी। इसके बाद, संघ ने अपने कार्यों को नया दिशा देने का प्रयास किया। संघ के नेताओं ने अपने आपको सुधारने की कोशिश की और धीरे-धीरे सार्वजनिक जीवन में अपनी पहचान बनाई।

एक खास बात यह भी है कि सardar पटेल, जो खुद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता थे, ने संघ को कांग्रेस में विलय का एक प्रस्ताव दिया था। यह प्रस्ताव उनके और RSS के परम पावन प्रमुख, गुरु गोलवलकर के बीच हुआ था। पटेल ने यह सुझाव दिया कि संघ को कांग्रेस में शामिल होना चाहिए ताकि दोनों का उद्देश्य एक ही दिशा में बढ़ सके। हालांकि, यह सुझाव अस्वीकृत हो गया, लेकिन यह घटना संघ की कार्यप्रणाली और उनकी नीतियों पर चर्चा के लिए आज भी प्रासंगिक है।

RSS का इतिहास भारतीय राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण रहा है। अपनी स्थापना के समय से लेकर आज तक, संघ ने समाज में कई बदलाव लाने का काम किया है। इस संगठन ने भारत को एक नई पहचान देने का प्रयास किया है, जो स्वतंत्रता संग्राम के सिद्धांतों और सांस्कृतिक विविधता को समर्पित है। संघ के इस 100 साल के यात्रा में वह अलग-अलग खिलाफतों और समर्थन का रूप देख चुका है।

आज की तारीख में जब संघ अपने 100 साल पूरे कर रहा है, तो यह देखना होगा कि भविष्य में वह किस दिशा में आगे बढ़ता है। क्या संघ अपने मूल सिद्धांतों के प्रति वफादार रहेगा या समय के साथ उसे अद्यतन करने की आवश्यकता महसूस होगी। यह प्रश्न आज भी प्रासंगिक है और इसके अंतर्गत संघ के भविष्य की दिशा तय की जाएगी।