सीरिया संकट: असद के तख्तापलट के बाद नई चुनौतियां

सीरिया में चल रहे संकट ने पिछले दशक में एक नई मंजर देखी है, जब लोगों ने राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ़ विद्रोह शुरू किया था। हाल के दिनों में असद के तख्तापलट की खबरें आ रही हैं, लेकिन यह समझना जरूरी है कि क्या यह वास्तव में सीरिया के संकट का अंत है?

US और रूस जैसे बड़े देश अब विद्रोहियों की गतिविधियों को लेकर ऐक्टिव हो गए हैं। लेकिन इस बदलाव के साथ ही कुछ नई चुनौतियां पैदा हुई हैं। विद्रोहियों के बीच में एकता ना होना, क्षेत्रीय शक्तियों के बीच का टकराव और नागरिकों की सुरक्षा पर बनते संकट से निपटना एक बड़ी दिक्कत है।

असद के शासन के पिछले कुछ वर्षों में, सीरिया की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। भले ही असद अब सत्ता में ना हो, लेकिन अथाह गरीबी और हिंसा के कारण आम लोग अभी भी कठिनाई में हैं। यूएन के रिपोर्ट्स के मुताबिक, लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं और देश का बुनियादी ढांचा बर्बाद हो चुका है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि एक नए शासन के तहत सीरिया इन समस्याओं से कैसे निपटेगा?

यूएस और रूस ने अपनी कूटनीति के माध्यम से काफी प्रभाव डाला है। अमेरिकी सेना पूर्वी सीरिया के कुछ क्षेत्रों में स्थित है, जबकि रूस असद के समर्थन में है। ऐसी स्थिति में यह चुनौतियां और बढ़ जाती हैं। विद्रोहियों को अब अपनी तैयारियों को फिर से तराशना होगा, ताकि वे किसी भी नए शासन के खिलाफ मजबूती से खड़े हो सकें।

फिलहाल, विद्रोहियों के बीच एकता की कमी तथा बाहरी शक्तियों की मंशा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पर्सनल किए गए दृष्टिकोण से विद्रोहियों को यह तय करना होगा कि उन्हें कैसे आगे बढ़ना है। इससे सीरिया के नागरिकों के जीवन में कोई सुधार होगा या नहीं, यह बहुत बड़ा प्रश्न है।

समग्र में, असद के शासन में बदलाव ने केवल राजनीतिक पंक्ति का परिवर्तन किया है, परंतु वास्तविक समस्या जो लंबे समय से जारी है, वह अभी भी जस की तस है। सीरिया में स्थायी शांति और समृद्धि के लिए अभी भी लंबा सफर तय करना है।