सीरिया की अर्थव्यवस्था का पतन: गृहयुद्ध ने बदल दी तस्वीर
सीरिया की अर्थव्यवस्था पिछले 13 सालों में बहुत बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिसमें लगातार गृहयुद्ध ने देश को तबाह कर दिया है। 2010 में, जब सीरिया की GDP लगभग 60 बिलियन डॉलर थी, तब किसी ने सोचा नहीं था कि यह आंकड़ा 2023 में गिरकर महज 10 बिलियन डॉलर के आस-पास पहुँच जाएगा। इस गंभीर गिरावट के पीछे की वजह मुख्य रूप से युद्ध, मंहगाई और अव्यवस्थित शासन व्यवस्था है।
गृहयुद्ध की शुरुआत 2011 में हुई थी, जब लोगों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू किया था। धीरे-धीरे यह एक बड़े युद्ध में तब्दील हो गया, जिसमें हजारों लोग मारे गए और लाखों लोग विस्थापित हुए। इसकी वजह से देश की आर्थिक स्थिति हमेशा के लिए बदल गई।
गृहयुद्ध ने न केवल GDP को प्रभावित किया, बल्कि सीरिया की मुद्रा, लाइरा, की वैल्यू भी गिर गई है। मौजूदा समय में मंहगाई दर एक रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच चुकी है। सीरिया के लोग अब बुनियादी चीजों के लिए भी तरस रहे हैं। खाना, दवा और अन्य जरूरी सामान पाने में भी कठिनाइयाँ आ रही हैं।
क्या आपने कभी सोचा है कि एक देश की अर्थव्यवस्था कितनी जल्दी बदल सकती है? सीरिया की स्थिति यही बताती है कि एक युद्ध का असर एक पूरी पीढ़ी पर पड़ सकता है। कई लोग तो 2023 में यह अनुमान लगा रहे हैं कि सीरिया की स्थिति बेहतर हो सकती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि युद्ध के लंबे समय तक चलने के कारण लोग आज भी युद्ध की विभीषिका से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
विश्व बैंक और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ सीरिया की स्थिति को लेकर चिंता जता रही हैं। कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अगर इस संकट का समाधान जल्द नहीं निकाला गया, तो सीरिया की अर्थव्यवस्था और भी खराब हो जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सीरिया के लिए मानवता के लिए कदम उठाने की जरूरत है। युद्ध के कारण हुए नुकसान की भरपाई करना आसान नहीं होगा, लेकिन इसे नजरअंदाज करना भी संभव नहीं है।
आखिरकार, सीरिया का भविष्य क्या होगा? क्या यह देश फिर से उठ पाएगा या हमेशा के लिए इसी गरीबी में डूबा रहेगा? यह सवाल न केवल सीरिया के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए है।