महाशिवरात्रि पर महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं का महास्नान

महाकुंभ का आयोजन पूरे भारत में एक अलौकिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है, और इस बार का महाकुंभ भी उस परंपरा को जीवित रखे हुए है। खासकर महाशिवरात्रि के दिन, जो कि शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, इस बार 25 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। इस महास्नान की खासियत यह है कि यह दिन भक्तों के लिए मोक्षप्रद माना जाता है।

हर साल की तरह, इस बार भी प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन भव्य तरीके से किया गया है। महामंडलेश्वर और साधु-संतों के साथ-साथ आम लोग भी इस पर्व में भाग लेने के लिए दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। सुबह से ही लोग संगम किनारे पर इकट्ठा होना शुरू हो गए थे। जैसे-जैसे सूरज उगता गया, संगम का नजारा और भी मनमोहक होता गया। श्रद्धालुओं का जोश और आस्था का अद्भुत मिलाजुला स्वरूप लगातार बढ़ता गया।

स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ संगम तट पर उमड़ पड़ी। सभी ने एक साथ हर हर महादेव के नारों के साथ गंगा, युमना और सरस्वती के पावन जल में स्नान किया। लोगों का मानना है कि यहाँ डुबकी लगाने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस खास मौके पर सुरक्षा व्यवस्था भी चाक-चौबंद रही। प्रशासन ने स्नानार्थियों की सुरक्षा के लिए व्यापक व्यवस्था की थी, ताकि हर श्रद्धालु आसानी से और सुरक्षित तरीके से स्नान कर सके।

महाशिवरात्रि पर महाकुंभ का महास्नान एक तरह से राष्ट्रीय एकता और धार्मिक एकता का प्रतीक है। यह पर्व न केवल धार्मिक मान्यताओं बल्कि भारतीय संस्कृति का भी दर्शन कराता है। इस बार का महाकुंभ इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें लाखों की संख्या में लोग एक साथ आकर अपनी आस्था को प्रकट कर रहे हैं। महामारी के समय में जो दूरियाँ बनी थीं, वे अब इस उत्सव के माध्यम से कम हो रही हैं।

महाकुंभ सिर्फ एक महोत्सव नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक धरोहर है जो सदियों से चलती आ रही है। यह भारतीय सभ्यता के अद्वितीय पहलू को दर्शाता है और श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमाण भी है। इस महाकुंभ में लाखों भक्तों का उत्साह और उनके श्रद्धा भाव ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि भारत की धार्मिकता कितनी गहरी है।

आज का दिन श्रद्धालुओं के लिए एक नया अध्याय है। उन्होंने संगम में स्नान कर न केवल अपनी आस्था को प्रकट किया, बल्कि एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियों का भी आदान-प्रदान किया। ऐसे में ये कहना बिलकुल सही होगा कि महाकुंभ का यह महास्नान सालों साल याद रहेगा।