लाहौर बना दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर, नई चिंताएं बढ़ी

हाल ही में रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान का लाहौर एक बार फिर से प्रदूषण के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। यह स्थिति सच में चिंताजनक है, क्योंकि इससे न केवल निवासियों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि इसका परिणाम पर्यावरण पर भी पड़ रहा है। लाहौर में बढ़ते कंटेनर्स, औद्योगिक उत्सर्जन और धुएं की वजह से इस शहर का वायुमंडल बेहद खराब हो गया है।

साल 2023 में लाहौर ने कई बार अधिकतम प्रदूषण स्तर को पार किया है। यहां तक कि कुछ दिनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 से ऊपर पहुंच गया, जो बेहद खतरनाक है। यह उस समय की बात है जब WHO की गाइडलाइन्स के अनुसार AQI 100 से ऊपर होने पर स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

इसके अलावा, लाहौर में सर्दियों के दौरान स्मॉग की समस्या बढ़ जाती है, जो वायु में धुंध और प्रदूषकों का मिश्रण होती है। यह धुंध न केवल दृष्टि को बाधित करती है, बल्कि श्वसन संबंधी कई समस्याओं को पैदा करती है। विशेषकर बच्चे और वृद्ध लोग इसके प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, लाहौर में प्रदूषण के मुख्य स्रोतों में वाहन, फैक्ट्रियां और पत्तों का जलाना शामिल हैं। हालिया सर्वेक्षणों से पता चला है कि इस समय शहर की वायु गुणवत्ता में तेजी से गिरावट आई है और इसे तुरंत सुधारने की जरूरत है। कई नागरिक समूह और पर्यावरण कार्यकर्ता इस मुद्दे को लेकर जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं।

स्थानीय लोगों की बात करें तो, लोग प्रदूषण से बेहद परेशान हैं। स्कूलों और कामकाजी जगहों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। ऐसे में ज़रूरी हो गया है कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए। वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए ठोस नीतियां बनानी होंगी, जैसे कि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर नियंत्रण और हरित क्षेत्र का विस्तार।

सिर्फ सरकारी प्रयास ही नहीं, बल्कि समाज को भी इसके प्रति जागरूक होना चाहिए। सर्कल की तरह हम सब मिलकर इस समस्या का सामना कर सकते हैं। यदि लाहौर को एक साफ और स्वस्थ शहर बनाना है, तो सभी को अपने हिस्से का योगदान देना होगा। सच में, यह समय है कि हम कुछ बदलाव लाएं और अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करें।