कश्मीर के नौगामा थाने में भयंकर धमाका: विस्फोटक की गलती बनी कारण

कश्मीर के नौगामा थाने में हाल ही में एक भयंकर धमाका हुआ, जिसने सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों के बीच दहशत फैला दी। इस घटना में लगभग 360 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। यह घटना न केवल एक दुर्घटना थी, बल्कि इसके पीछे का कारण एक गंभीर फॉरेंसिक एरर भी था।

खबरों के अनुसार, जब स्थानीय पुलिस ने वहाँ जमा विस्फोटक सामग्री को सुरक्षित समझकर उसे हल्के में लिया, तब एक बड़ा हादसा अवश्यंभावी था। धमाका इतना तेज था कि इससे आसपास के इलाके में खिड़कियाँ और दरवाजे टूट गए। चश्मदीदों ने बताया कि धमाके की आवाज़ इतनी तेज थी कि उन्होंने उसे कई किलोमीटर दूर से सुना।

सुरक्षा अधिकारियों का मानना है कि यह घटना कश्मीर में आतंकवाद से अधिक मानवजीवन की सुरक्षा में लचरता का नतीजा है। विस्फोटक का ठीक से एक्जामिनेशन न करने के कारण यह हादसा हुआ। यह पहली बार नहीं है जब जम्मू-कश्मीर में ऐसा हुआ हो, लेकिन इस बार की घटना ने सभी को चौंका दिया।

विशेषज्ञों का कहना है कि किस तरह से 360 किलो विस्फोटक को एक थाने में लाया गया और उसे सुरक्षित तरीके से नहीं संभाला गया, यह विचारणीय है। इस घटना ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इस तरह के खतरनाक सर्च ऑपरेशंस की जाँच की जा रही है?

इससे पहले भी जम्मू-कश्मीर में कई बार ऐसी घटनाएँ हो चुकी हैं जहां आतंकवादियों ने या तो खुद को धमाके के लिए तैयार किया है या फिर सुरक्षा बलों की अनवाज़ा लापरवाहियों के कारण हादसे हुए हैं। लेकिन इस बार की स्थिति ने शासन को फिर से सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हमारे सुरक्षा प्रोटोकॉल को अपडेट करने की ज़रूरत है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा है कि इस भयंकर घटना में हम सभी को मिलकर काम करने की ज़रूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। उल्लेखनीय है कि यह घटना उस समय हुई है जब कश्मीर में शांति स्थापना के प्रयास किए जा रहे हैं।

समाज में फैली दहशत को खत्म करने के लिए यह जरूरी है कि ऐसे मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही फॉरेंसिक एरर्स को खत्म करने के लिए सिस्टम को ठीक करने की आवश्यकता है। पुलिस का मानना है कि इस घटना से सबक लेते हुए उन्हें अपने प्रोटोकॉल को और भी कड़ा बनाना होगा।

क्या ऐसी घटनाएँ केवल मानव लापरवाही का नतीजा हैं? या फिर सुरक्षा और फॉरेंसिक प्रक्रिया में कोई मूलभूत कमी है? यह तो भविष्य ही बताएगा। लेकिन एक बात निश्चित है, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक ठोस कदम उठाना होगा।