क्रिस्टिया फ्रीलैंड का इस्तीफा: ट्रूडो सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल

कनाडा की डिप्टी पीएम और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया है, जिससे राजनीति में एक बड़ा भूचाल आ गया है। फ्रीलैंड ने यह अकस्मात निर्णय उस समय लिया है जब ट्रूडो सरकार अपने अंतर्गत चुनौतियों का सामना कर रही है। उन्होंने खुद कहा कि वह और ट्रूडो अब एक ही लाइन पर नहीं हैं।

फ्रीलैंड ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए स्पष्ट किया कि सरकार की मौजूदा नीतियों से उनकी असहमति है। उनका कहना था कि उनके और ट्रूडो के दृष्टिकोण में बड़ा अंतर आ गया है। उन्होंने ट्वीट किया कि यह फैसला उनके लिए सबसे कठिन था, लेकिन उन्होंने अपने सिद्धांतों को प्राथमिकता दी। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के भीतर की आपसी असहमतियों ने उनकी इस कदम को प्रेरित किया।

क्रिस्टिया फ्रीलैंड का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब कनाडा की अर्थव्यवस्था कई मोर्चों पर चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना कर रही है। बढ़ती महंगाई, परिवारों की आर्थिक कठिनाइयाँ, और पहले से लागू की गई कुछ आर्थिक नीतियाँ अब खुद ट्रूडो सरकार की विपक्ष का सामना करने में सक्षम नहीं हो पा रही हैं। फ्रीलैंड का मानना है कि सरकार को आवासीय संकट और सामान्य जनता की बेहतरी के लिए अधिक सक्रिय कदम उठाने होंगे।

आबादी में बढ़ती असमानताओं और गरीब-धनाढ्य के बीच के फासले को प縮ने के लिए उन्होंने कुछ स्थायी नीतियों की वकालत की, जिन्हें सरकार द्वारा नजरअंदाज किया गया। फ्रीलैंड के इस्तीफे ने कनाडा में राजनीतिक परिदृश्य को और भी जटिल बना दिया है।

अब सवाल उठता है कि ट्रूडो सरकार कैसे इस स्थिति का सामना करेगी और फ्रीलैंड जैसे ताकतवर नेता के बिना आगे क्या कदम उठाएगी। क्या उनकी विदाई से जनता का विश्वास टूट जाएगा, या सरकार एक नई दिशा में आगे बढ़ सकेगी? इस बार तो फ्रीलैंड ने स्पष्ट कर दिया कि वे कुछ भी दृष्टिगत नहीं देख सकते, जब तक यह लोगों के लिए सर्वोत्तम साबित ना हो।

इस इस्तीफे के बाद, अब अन्य मंत्रियों और अधिकारीयों के मन में भी असुरक्षा की भावना घर कर सकती है। क्या ट्रूडो इस स्थिति से उबर पाएंगे या उन्हें भी अपने अन्य मंत्रियों के इस्तीफे का सामना करना पड़ेगा, यह एक गंभीर सवाल है। आने वाले समय में देखना होगा कि कनाडा की राजनीति में किस तरह के बदलाव आते हैं।