किसानों के कल्याण की धनराशि लुटाने का मामला: अफसरों ने बेइमानियों का किया खेल
मध्यप्रदेश में किसानों के लिए की गई धनराशि में भारी गड़बड़ी सामने आई है। हाल ही में आए एक CAG रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए ₹5.31 करोड़ जारी किए थे, लेकिन अफसरों ने इसमें से ₹4.79 करोड़ का उपयोग अपनी विलासिता के लिए किया। ये फंड्स किसानों के विकास, उनके कल्याण और कृषि में सुधार के लिए दिए गए थे, लेकिन अधिकारियों ने इसे गाड़ियों और अन्य सुविधाओं पर बर्बाद कर दिया।
इस मामले में एक बार फिर से सवाल खड़ा होता है कि सरकार और प्रशासन میں पारदर्शिता की कितनी कमी है। क्या किसान सिर्फ चुनावों के समय ही याद किए जाते हैं या उनके कल्याण के लिए जो भी फंड्स हैं, उसका सही उपयोग नहीं किया जा रहा है? CAG रिपोर्ट के मुताबिक, यह धनराशि उन योजनाओं के तहत जारी की गई थी जो किसानों के लिए कई लाभ की उम्मीद कर रही थीं।
इस धन की बर्बादी ने न केवल किसानों के प्रति सरकार की जिम्मेदारी को उजागर किया है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रशासन में भ्रष्टाचार की कितनी गहरी जड़ें हैं। योजना के अंतर्गत, धन का सही उपयोग न होना, किसानों के लिए चिंता का बड़ा विषय बन गया है। उच्च अधिकारियों ने इन फंड्स का उपयोग अपनी निजी गाड़ियाँ खरीदने में किया जबकि किसानों का हाल अभी भी बदहाल है।
किसान आमतौर पर भूमि, बीज, खाद और उपकरणों की खरीदारी में सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। ऐसे समय में जब सरकारी सहायता के बिना उनका जीवन कठिन हो रहा है, तब इस तरह की धन की बर्बादी न केवल उनकी आशाओं पर पानी फेरती है बल्कि यह उनके भविष्य पर भी सवाल खड़ा करती है।
सामाजिक कार्यकर्ता और किसान संगठन अब इस मामले में कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे अफसरों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाने चाहिए जो किसानों का न्यास भी नहीं रखते। इस मामले में सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि किसानों को उनका हक मिल सके।
किसानों के कल्याण के लिए किए गए उपायों में स्पष्टता और सही दिशा में कार्रवाई बेहद जरूरी है। अब समय आ गया है कि अधिकारी अपने कर्तव्यों को समझें और किसानों की भलाई के लिए सही से काम करें।
मध्यप्रदेश में किसानों के लिए भेजी गई धनराशि की यह गड़बड़ी निश्चित रूप से प्रशासन के लिए एक बड़े सबक के रूप में सामने आएगी और इसके दूरगामी परिणाम होंगे। केवल इस तरह के मामलों को उजागर करके ही हम एक सशक्त समाज की दिशा में बढ़ सकते हैं।