केंद्र ने वायनाड आपदा के बाद पश्चिमी घाट के लिए ESA मसौदा जारी किया
भारत सरकार ने हाल ही में वायनाड में आई बारह की काली आपदा के बाद, पश्चिमी घाट क्षेत्र के लिए एक नया ESA (Ecologically Sensitive Area) मसौदा जारी किया है। यह ऐक्शन ड्राफ्ट उस भयानक स्थिति के मद्देनजर आया है जिसमें भारी बारिश और भूस्खलन ने लोगों की ज़िंदगी और संपत्ति को नुकसान पहुँचाया। लोगों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने यह नया प्रस्ताव तैयार किया है। इस मसौदे में सुझाव देने की अंतिम तारीख 60 दिन रखी गई है, जिससे सभी प्रमुख हितधारकों को इनपुट देने का अवसर मिलेगा।
पश्चिमी घाट एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी क्षेत्र है, जिसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। यहाँ अनेक प्रकार की जैव विविधता पाई जाती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षो में जलवायु परिवर्तन और मानव हस्तक्षेप के कारण यहाँ स्थितियाँ बिगड़ती जा रही हैं। यह मसौदा ऐसे समय में आया है जब वायनाड जैसे क्षेत्रों में प्राकृतिक संकट अचानक बढ़ गए हैं।
इस नए ESA मसौदे में विशेष ध्यान उन क्षेत्रों पर दिया गया है जो पारिस्थितिकीय दृष्टि से संवेदनशील माने जाते हैं। इसमें उन क्षेत्रों को शामिल किया गया है जहां पर नदियाँ, जल धाराएँ और वन्यजीवों का निवास है। इसके अलावा, लक्षित लगातार अवैध निर्माण, खनन और वनों की कटाई को नियंत्रित करने के लिए सख्ती से नियम बनाए गए हैं। साथ ही, स्थानीय समुदायों को उनकी पारंपरिक जीवनशैली में भी संरक्षण देने का प्रयास किया गया है।
इस मसौदे के जरिये सरकार उम्मीद करती है कि स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता बढ़ेगी और एक संतुलित विकास की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकेगा। यह भी ज़रूरी है कि जब आपदा की वारदातें हों, तो समुदायों की आवाज और सुझावों को सुनना भी आवश्यक होता है। इस संदर्भ में, यह सुझाव मंगवाने का कदम महत्वपूर्ण है।
अंततः, यह मसौदा केवल एक कागज़ी कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह एक नज़रिए को दर्शाता है जहाँ पर सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। सरकार का यह कदम वायनाड समेत पूरे पश्चिमी घाट क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगा।