ईरान की साजिश: बाइडेन और ट्रंप के WhatsApp पर साइबर अटैक का खुलासा

हाल ही में, Meta ने खुलासा किया है कि ईरान के हैकर्स ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी कैंपेन में शामिल लोगों के WhatsApp अकाउंट पर साइबर अटैक किया है। यह जानकारी ऐसे समय में आई है जब दोनों ही नेता अपने-अपने राजनीतिक भविष्य के लिए चुनावी मैदान में अपनी ताकत को जुटा रहे हैं।

इस साइबर अटैक के पीछे ईरान की मंशा स्पष्ट है - चुनावी प्रक्रिया में दखल देकर अमेरिकी नेताओं को कमजोर करना। साथ ही, यह संकेत भी है कि ईरान अपनी तकनीकी क्षमताओं को बढ़ा रहा है। Meta के अनुसार, यह अटैक इतना sophisticated था कि यह सीधे WhatsApp की सुरक्षा प्रणाली को चुनौती दे रहा था। एन्क्रिप्टेड प्लेटफ़ॉर्म के बावजूद, यह हैकिंग इस बात का सबूत है कि साइबर संबंधी खतरों का स्तर कितना बढ़ चुका है।

इसी संदर्भ में, Meta ने कहा है कि उसने इन अटैकोर को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए हैं, लेकिन साथ ही, यह भी बताया कि आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए सतर्क रहना आवश्यक है। हैकर्स ने प्रमुख राजनीतिक हस्तियों के कर्मचारियों को निशाना बनाया, जो चुनावी रणनीति और संचार में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं।

विश्लेषकों के अनुसार, इस तरह के साइबर हमले यह दिखाते हैं कि कैसे एक देश दूसरे देश की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर सकता है। ईरान और अमेरिका के बीच तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ईरान अपनी रणनीति के तहत ऐसे हमलों को अंजाम दे रहा है। यह केवल बाइडेन और ट्रंप के लिए नहीं, बल्कि आम अमेरिकी नागरिकों के लिए भी चिंता का विषय बन सकता है क्योंकि ऐसे हमले लोकतंत्र को प्रभावित कर सकते हैं।

इसके अलावा, ईरान की यह रणनीति अमेरिकी राजनीति को कमजोर करके वैश्विक स्तर पर खुद को एक मजबूत शक्ति के रूप में स्थापित करने की कोशिश दर्शाती है। ऐसे वक्त में जब दुनियाभर में चुनावी सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है, ईरान का ये प्रयास और भी गंभीर बन जाता है।

हालांकि Meta ने पहले ही ऐलान किया था कि वे ऐसे हमलों से बचने के लिए अपने प्लेटफ़ॉर्म पर सुरक्षा उपायों को बढ़ा रहे हैं, लेकिन सवाल ये है कि क्या ये उपाय वास्तव में प्रभावी होंगे? आने वाले चुनावों में ईरान की इस रणनीति का असर क्या होगा, यह देखना अब रोचक होगा।