बिहार विधानसभा में नए विधायकों की संपत्ति का खुलासा, 90% करोड़पति

हाल ही में बिहार विधानसभा के नए विधायकों की संपत्ति की रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि लगभग 90% विधायकों के पास करोड़ों की संपत्ति है। यह आंकड़ा हर किसी को चौंका देने वाला है, खासकर ऐसे समय में जब देश में बेरोजगारी और गरीबों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि सबसे अमीर विधायक के पास 170 करोड़ रुपये की संपत्ति है। ये आंकड़े असोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा प्रकाशित किए गए हैं, जो चुनावी सुधारों के लिए काम करती है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, जिन 243 विधायकों की संपत्ति की जांच की गई है, उनमें से 220 विधायक करोड़पति हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि बिहार में विधायकों के लिए संपत्ति का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे सवाल उठता है कि क्या ये विधायक अपने मतदाताओं के लिए वास्तव में काम कर रहे हैं या सिर्फ अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए।

बहुत से लोग यह सोचते हैं कि राजनीतिक पदों पर रहने वाले लोग अपने वोटिंग जनता के कल्याण के लिए काम करेंगे, लेकिन ऐसे आंकड़े यह दर्शाते हैं कि इनके धन का स्तर आम जनता के तुलना में काफी ज्यादा है। एक विधायक का यह संपत्ति स्तर दिखाता है कि राजनीति में पैसे का कितना बड़ा हाथ है।

जिन विधायकों ने चुनाव लड़ा, उनकी चुनावी संपत्ति की जानकारी भी इस रिपोर्ट में शामिल है। अधिकतर विधायकों ने अपनी संपत्ति की डिक्लेर की हुई जानकारी को गंभीरता से लिया है। अपनी संपत्ति के स्रोत को लेकर भी उन्होंने कई बार स्पष्टीकरण दिया है।

इस बात पर बहस छिड़ गई है कि क्या हमें ऐसे विधायकों को चुनना चाहिए जिनके पास इतनी बड़ी संपत्ति है। क्या यह लोग वास्तव में जनता के लिए صحیح फैसले ले सकते हैं? या फिर यह मात्र अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए काम कर रहे हैं?

इस रिपोर्ट को देखकर यह तो साफ है कि बिहार में राजनीति और धन का रिश्ता काफी गहरा है। हमें यह सोचने की जरुरत है कि क्या हम ऐसे नेताओं को चुनते रहेंगे जो केवल अपने लिए धन जुटाने में लगे रहते हैं।

समाज में फैली असमानता को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या हमें नेताओं के चयन में उस वक्त का ध्यान रखना चाहिए जब उनके पास करोड़ों की संपत्ति हो। क्या ये विधायक वास्तव में लोककल्याण के लिए काम कर रहे हैं या यह सब एक दिखावा है? आगे आने वाले चुनावों में इन मुद्दों पर ध्यान देना बेहद आवश्यक है।

इस तरह के आंकड़े न केवल राजनीतिक स्थिति को दर्शाते हैं, बल्कि समाज में व्याप्त असमानताओं को भी उजागर करते हैं। यह समय है कि मतदाता इस तरह के मुद्दों पर विचार करें और सही निर्णय लें।