बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले: जमात-उल-मुजाहिदीन की काली कहानी
हाल के दिनों में बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। ऐसा लग रहा है जैसे जमात-उल-मुजाहिदीन, एक कट्टर धार्मिक आतंकी संगठन, ने अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया है। इस संगठन ने पिछले कुछ समय में हिन्दू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का असामान्य ढंग से प्रयास किया है। ऐसे समय में जब बांग्लादेश में धार्मिक सहनशीलता को बढ़ावा देने की जरूरत है, वहाँ पर इस तरह के हमले केवल गहराती हुई सामाजिक विषमता को दिखाते हैं।
जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश, जिसे अक्सर JMB के नाम से जाना जाता है, का गठन 1998 में हुआ था। यह संगठन बांग्लादेश में एक इस्लामी राज्य की स्थापना करना चाहता है। हाल के वर्षों में, इसने अपने सक्रिय सदस्यों की संख्या में वृद्धि की है, और अब इसके पास लगभग 10,000 प्रशिक्षित सदस्य होने का अनुमान है।
इस संगठन की रणनीतियाँ बेहद भयावह हैं। यह चुपचाप अपने लक्ष्यों का चयन करता है और फिर उन पर हमला करता है। हालिया हमलों में हिन्दू मंदिरों और पूजा स्थलों को निशाना बनाते हुए कई भयंकर हमले किए गए हैं। इन हमलों से अल्पसंख्यक समुदाय में डर और हताशा फैल रही है।
सिर्फ हिन्दू समुदाय ही नहीं, बल्कि अन्य अल्पसंख्यकीय समूह भी इस आतंक का शिकार हो रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, इस संगठन ने बांग्लादेश में कई प्रमुख शहरों में अपने पैर पसारे हैं। इसके सदस्यों का मानना है कि वे धर्म के नाम पर इस तरह की गतिविधियों को करके सही कर रहे हैं। लेकिन वास्तव में, यह एक विकृत मानसिकता का परिणाम है, जो न केवल बांग्लादेश की संस्कृति को प्रभावित कर रहा है बल्कि पूरे क्षेत्र की स्थिरता को भी खतरे में डाल रहा है।
बांग्लादेश सरकार को इस समस्या का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। हमें यह समझना होगा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता; यह मानवता के खिलाफ एक अपराध है। सरकार को चाहिए कि वह इस संगठन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे और पहले से ही हताहत हुए लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करे।
हम सभी को एकजुट होकर इस कुरीति का सामना करना होगा। एक मजबूत और सुरक्षित बांग्लादेश के लिए हमें अपनी आवाज उठानी होगी। हमें समझना होगा कि एकता में ही शक्ति है और सभी धर्मों के लोगों को एक साथ मिलकर संघर्ष करने की जरूरत है।