बाढ़ में भी धान की फसल का बेहतरीन उत्पादन: जानें इन खास किस्मों के बारे में

भारत में कृषि विकास के लिए नई तकनीकों और फसलों की खोज जारी है। हाल ही में, बाढ़ की स्थिति में भी धान की फसल को बचाने के लिए दो खास किस्मों का नाम सामने आया है, जिनका उत्पादन पानी में 18 दिन तक खराब नहीं होता। यह जानकारी ग्रामीण कृषि मार्केटिंग ऐसोसिएशन (GRMA) ने दी है। इन किस्मों की पहचान कर ली गई है, जो न केवल बाढ़ के समय में मददगार हैं बल्कि किसान भाइयों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होंगी।

बाढ़ की समस्या भारत में हर साल होती है, और इससे कृषि उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में यदि किसान ये दो खास किस्में अपनाएं, तो न केवल उनकी फसल सुरक्षित रहेगी, बल्कि उत्पादन में भी वृद्धि होगी। यह धान की किस्में पानी में डूबने के बावजूद 18 दिन तक जीवित रह सकती हैं।

इन धान की किस्मों में 'जैन 108' और 'सरवानंद 1' शामिल हैं। ये किस्में विशेष रूप से बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मानी जा रही हैं। जैन 108 आमतौर पर कम समय में तैयार हो जाती है और यह झराधान की श्रेणी में आती है। वहीं, सरवानंद 1 अधिक क्षति सहन कर सकती है और इसकी फसल बाढ़ के बाद भी कुछ समय में उग जाती है।

इन किस्मों के मुख्य लाभों में से एक है इनकी बेहतर जल सहिष्णुता। जेनेटिक इंजीनियरिंग और पारंपरिक प्रजनन तकनीकों का उपयोग करके इन किस्मों को विकसित किया गया है, ताकि किसानों को बाढ़ के दौरान भी उत्पादन में कमी का सामना न करना पड़े।

किसान भाइयों को चाहिए कि वे इन खास किस्मों की खेती पर ध्यान दें, क्योंकि यह न केवल उनकी फसल को सुरक्षित रखेगा, बल्कि उन्हें एक अच्छा मुनाफा भी देगा।

इस स्थिति से निपटने के लिए बाढ़ प्रतिरोधी फसलों का विकास प्रमुखता से हो रहा है। सरकार भी किसानों को इन नई किस्मों के बारे में जागरूक करने के लिए कई अभियान चला रही है।

अंत में, अगर आप भी धान की खेती करते हैं या इसके लिए सोच रहे हैं, तो जैन 108 और सरवानंद 1 किस्मों को अपनाना न भूलें। ये आपके लिए एक सही विकल्प हो सकती हैं, खासकर जब बाढ़ का खतरा मंडरा रहा हो।