औरंगजेब की क्रूरता: दाराशिकोह का सिर काटकर शाहजहाँ को भेजा
भारत के इतिहास में औरंगजेब का नाम अक्सर बर्बरता और क्रूरता के संदर्भ में लिया जाता है। हाल ही में एक नए खुलासे ने इस बात को और भी स्पष्ट कर दिया है कि औरंगजेब ने अपने ही भाई दाराशिकोह के साथ क्या किया। इतिहास की किताबों में समाहित इस कहानी को जानकर किसी का भी दिल दहल जाएगा।
दाराशिकोह, जो शाहजहाँ का सबसे प्रिय बेटा था, अपने सिद्धांतों और विचारधाराओं के चलते औरंगजेब से दूर हो गया था। अपनी राजनीति के लिए औरंगजेब किसी भी हद तक जा सकता था। उसने दाराशिकोह को कैद कर लिया और फिर ना जाने किस सोच के तहत, उसका सिर काटकर इसे अपने पिता शाहजहाँ के पास भेज दिया। यह एक ऐसा कृत्य था, जो केवल क्रूरता को ही नहीं, बल्कि पारिवारिक संबंधों की भी बर्बरता को दर्शाता है।
इतिहासकारों का मानना है कि औरंगजेब की यह हरकत केवल उसके राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए की गई थी। उसे अपने भाई से खतरा महसूस होता था, और इसलिए उसने उसे समाप्त करने का फैसला लिया। यह आपको इस बात का भी आभास कराती है कि किस तरह से सत्ता के लिए लोग अपने करीबी रिश्तेदारों के साथ भी क्रूर हो सकते हैं।
इस घटना को लेकर भारतीय इतिहास में कई चर्चाएँ होती रही हैं। इसे अक्सर एक सबक के रूप में देखा जाता है कि शक्ति की भूख कितनी नकारात्मक परिणाम ला सकती है। दाराशिकोह की हत्या का यह कृत्य औरंगजेब के चरित्र को भी बयां करता है। आज जब हम इस घटना को याद करते हैं, तो हमें यह सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि क्या सच में सत्ता की प्राप्ति के लिए यह सब करना जरूरी था?
आजकल सोशल मीडिया पर भी इस विषय पर चर्चा चल रही है। बहुत से लोग इस घटना को लेकर अपनी-अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। कुछ इसे औरंगजेब के क्रूर चेहरे के रूप में देखते हैं, तो कुछ इसे उस समय के राजनीतिक संघर्षों का परिणाम मानते हैं।
हालांकि, एक बात तो स्पष्ट है कि इतिहास हमें यह सिखाता है कि व्यक्ति की सोच और उसके विचार उसके कार्यों को प्रभावित करते हैं। औरंगजेब ने जो किया, वह न केवल उसके दिल में छपे हुए गहरे अंधकार को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि मानवता के लिए कभी-कभी कीमत चुकानी पड़ती है।