अमेरिका की सैन्य उड़ानों में कमी: अवैध प्रवासियों का खर्च बढ़ा

अमेरिकी ट्रंप सरकार ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लिया है। सैन्य विमानों से अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए किए गए खर्च को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग ने एक ग्राउंड ब्रेकिंग रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि इन सैन्य उड़ानों में लगभग 30 फ्लाइट्स और 6 देशों में डिपोर्ट किए गए प्रवासियों पर हजारों करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह खर्च अमेरिकी सरकार के बजट को काफी प्रभावित कर रहा था।

इस कारण, ट्रंप प्रशासन ने इन महंगी सैन्य उड़ानों को स्थगित करने का निर्णय लिया है। आमतौर पर, ये उड़ानें अमेरिका से अवैध रूप से प्रवासियों को बाहर भेजने के लिए प्रयोग की जाती थीं। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि सरकार ने इस निर्णय को क्यों लिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह खर्च इतना बढ़ गया था कि यह समझ में नहीं आ रहा था कि इसे कैसे कंट्रोल किया जाए।

जैसे-जैसे वैश्विक प्रवासन का संकट बढ़ा है, अमेरिका को बढ़ती हुई संख्या में अवैध प्रवासियों का सामना करना पड़ रहा है। कई देशों से आने वाले ये प्रवासी कई बार आपात स्थिति में या ख़तरनाक परिस्थितियों में अमेरिका में दाखिल होते हैं। ऐसे में इन्हें डिपोर्ट करना एक भारी लागत बन गया था।

अमेरिकी प्रशासन के पास इस बात की चिंता थी कि अगर उन्होंने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो इसके परिणाम स्वरूप आर्थिक संकट और भी बढ़ सकता है। ऐसे में सेनाओं के लिए इस जटिल मुद्दे का समाधान ढूंढना आसान नहीं होगा।

इसके अलावा, यह डिपोर्टेशन का खर्च उच्च स्तर पर होने के कारण अनेक मानवाधिकार संगठनों की आलोचना का भी कारण बना। कई लोग इसे अनैतिक भी मानते हैं। ऐसे समय में जब कई देशों में लोग युद्ध और भुखमरी का सामना कर रहे हैं, अमेरिका का यह कदम कई लोगों के लिए अनुचित दिखता है।

अब ट्रंप प्रशासन के सामने चुनौती यह है कि कैसे इस संकट का समाधान किया जाए, बिना बजट को थोड़े समय में नुकसान पहुंचाए। शायद, भविष्य में इन्हें और अधिक किफायती विकल्पों पर विचार करना पड़ेगा।

हालांकि, अब तक तो सभी की नज़रें इस पर रहेंगी कि यह बदलाव अमेरिका की प्रवासन नीति पर क्या असर डालेगा। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या अमेरिका अपने प्रवासियों की स्थिति में सुधार के लिए कोई नीति बनाएगा या नहीं।