अखिलेश यादव के करीबी संयोग के नेता वासुदेव यादव की गिरफ्तारी से सपा का नया संकट
उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए एक नया संकट खड़ा हो गया है। पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले वासुदेव यादव, जो पूर्व विधायक और यूपी बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, को हाल ही में आय से अधिक संपत्ति जुटाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी तब हुई जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनकी संपत्तियों की जांच शुरू की, जिसमें उनके पास असामान्य रूप से अधिक धन और सम्पत्ति के होने के सबूत मिले।
सपा में वासुदेव यादव की स्थिति काफी मजबूत थी। उन्हें पार्टी के अंदर एक महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता था। उनकी गिरफ्तारी से पार्टी के अन्य नेताओं में भी चिंता देखने को मिल रही है। कई नेताओं का मानना है कि इस गिरफ्तारी के पीछे राजनीतिक प्रतिशोध भी हो सकता है। वहीं, वासुदेव यादव ने आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है और कहा है कि यह सब राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है।
समाजवादी पार्टी ने हमेशा से ही अपनी छवि को "रेसिस्ट" नहीं होने की छवि को बनाए रखने की कोशिश की है। लेकिन अब वासुदेव यादव की गिरफ्तारी इस छवि को कमजोर कर सकती है। इस मामले पर सपा के दूसरे नेताओं ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि यह गिरफ्तारी केवल एक साजिश है।
वासुदेव यादव पर आरोप है कि उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में अवैध तरीके से संपत्ति जुटाई, जिससे उनकी कुल आय की तुलना में 109% अधिक संपत्ति का होना बताया गया है। उनकी गिरफ्तारी के बाद से सपा के कार्यकर्ताओं में आक्रोश और भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
इस मामले में सपा नेताओं का यह भी कहना है कि सरकार राजनीतिक प्रतिशोध के तहत इस तरह की कार्रवाई कर रही है, जिससे विरोधी दलों को कमजोर किया जा सके। इसके अलावा, उन्होंने कहा है कि ऐसे आरोपों के पीछे विपक्ष की सियासत भी हो सकती है।
अखिलेश यादव ने भी इस मामले पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार के द्वारा की गई यह कार्रवाई पूरी तरह से गलत है। उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों पर सवाल उठाए हैं कि वे कैसे अपने काम में ईमानदारी और निष्पक्षता को बरकरार रख सकेंगी। यह मामला राजनीतिक जगत में अब गरमा गया है और लोग यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि आगे क्या होने वाला है।