AI और डिजिटल तकनीक के माध्यम से बढ़ते स्कैम: भारतीयों को करोड़ों का नुकसान
2024 में साइबर अपराधियों ने तकनीक का भरपूर फायदा उठाया है, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डिजिटल टूल्स का उपयोग करते हुए। पिछले कुछ वर्षों में, ऑनलाइल शॉपिंग और फिशिंग स्कैम्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इस साल, जालसाजों ने इन तकनीकों का इस्तेमाल करके भारतीयों को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुँचाया है।
AI की मदद से अपराधी अब अधिक तेज़ और कुशल तरीके से लोगों को धोखा दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, जालसाज फर्जी वेबसाइट्स बनाते हैं जो असली शॉपिंग साइट्स की तरह दिखती हैं। ऐसे में दुर्भाग्य से, कई लोग धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा, वे AI का उपयोग करके ग्राहकों को लक्षित विज्ञापन भी भेजते हैं जिससे उन्हें यह विश्वास होता है कि वे किसी विश्वसनीय प्लेटफार्म से खरीदारी कर रहे हैं।
इसी तरह, सोशल इंजीनियरिंग के जरिए भी जालसाज लोगों को टार्गेट बनाते हैं। फिशिंग ईमेल के माध्यम से वे लोगों को लिंक पर क्लिक करने के लिए मजबूर करते हैं, जो अंततः उनके व्यक्तिगत डेटा को चुरा लेते हैं। अब AI तकनीक का इस्तेमाल करके, ये ईमेल और भी यथार्थवादी बन गए हैं, जिससे उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है।
इस साल एक और अहम पहलू आया है, वो है 'डिजिटल अरेस्ट'। यह एक नई प्रक्रिया है जिसमें पुलिस साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में तत्काल कार्रवाई करती है। इससे जालसाजों को पकड़ा जाना पहले से अधिक संभव हुआ है। कई मामलों में, पुलिस ने AI ट्रैकिंग तकनीक का इस्तेमाल करके अपराधियों की पहचान करने में मदद की है। यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन ध्यान रखना जरूरी है कि लोग भी सतर्क रहें।
इस वर्ष कई जालसाजों को पकड़ा गया है, लेकिन फिर भी हर दिन नए स्कैम्स सामने आ रहे हैं। इसलिए, सावधानी बरतना जरूरी है। किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करें। ऑनलाइन खरीदारी करते समय हमेशा वेबसाइट के URL का ध्यान रखें और किसी भी अज्ञात स्रोत से आने वाली सूचना पर ध्यान न दें।
सारांश में, AI और डिजिटल तकनीक के उपयोग से स्कैम्स के तौर-तरीके लगातार विकसित हो रहे हैं। हम सभी को इन तकनीकों के प्रति जागरूक रहकर ही सुरक्षित रह सकते हैं। याद रखें, जालसाज कभी सोते नहीं हैं।